हार्दिक पटेल के चुनाव लड़ने पर संकट बरकरार, सुप्रीम कोर्ट नही करेगा तत्काल सुनवाई!

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हार्दिक पटेल के चुनाव लड़ने पर संकट बरकरार, सुप्रीम कोर्ट नही करेगा तत्काल सुनवाई!

हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दंगा भड़काने पर उनको मिली 2 साल की सजा के निलंबन की याचिका पर त्वरित सुनवाई से मना कर दिया है। हार्दिक पटेल ने हाई कोर्ट द्वारा अपनी सजा के मामले में कोई राहत नही मिलने के बाद देश की सर्वोच्च अदालत का रुख किया था।

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने हार्दिक की अपील पर जवाब दिया है। बेंच के अनुसार इस मामले में तत्काल सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस मामले में हाई कोर्ट का फैसला पिछले साल अगस्त महीने में ही आया था।

2015 में गुजरात के मेहसाणा में दंगा भड़काने और भाजपा के विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय पर तोड़फोड़ करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने के मामले में विसनगर की अदालत ने हार्दिक को जुलाई 2018 में 2 साल के कैद की सज़ा सुनाई थी।

जन-प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के अनुसार कोई भी नागरिक जिसे 2 या इससे अधिक वर्षों की सजा मिली है वह चुनाव नही लड़ सकता।

2015 के पाटीदार आंदोलन से उभरे हार्दिक पटेल जोशीले, प्रखर युवा नेता हैं। वे कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख़ के बाद उनके चुनाव लड़ने पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हार्दिक की इस याचिका पर सुनवाई के लिए 4 अप्रैल का दिन तय किया है। यदि कोर्ट हार्दिक पर लगी सजा का निलंबन करती है तो वे चुनाव लड़ सकते हैं।

दरअसल हार्दिक पटेल जामनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं और यहाँ नामांकन भरने की आख़िरी तारीख भी 4 अप्रैल है। ऐसे में यदि हार्दिक को राहत नही मिलती तो उनका राजनीतिक भविष्य संकट में पड़ सकता है। यदि कांग्रेस इससे पहले इस लोकसभा सीट के लिए अपना दूसरा प्रत्याशी घोषित कर देती है तब भी हार्दिक चुनाव नही लड़ पाएंगे।

जब हाई कोर्ट का फैसला आया था तब हार्दिक ने ट्विटर पर कहा था कि उनका अपराध ये है कि उन्होंने भाजपा के खिलाफ़ आवाज़ उठाई है। उन्होंने कहा वे कांग्रेस का प्रचार करेंगे और उसे जीत दिलाएंगे।

अब कांग्रेस का रुख हार्दिक के लिए कैसा होगा ये देखने वाली बात है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हार्दिक का समर्थन किया है लेकिन यदि कोर्ट हार्दिक के खिलाफ कड़ा रुख करती है तो कांग्रेस को भी फिर से सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा।

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