जब किसी ने भी मदद नहीं की तो सीआरपीएफ ने मदद कर बचायी मुस्लिम महिला की जान

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Punctured Satire
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जब किसी ने भी मदद नहीं की तो सीआरपीएफ ने मदद कर बचायी मुस्लिम महिला की जान

जम्‍मू और कश्‍मीर में सुरक्षाबलों पर वहां की जनता पत्थरबाजी करती है साथ ही वहां के  नेता भी उन पर अत्‍याचार का आरोप लगाते है। लेकिन इन सब से परे भी सुरक्षाबलों ने  मानवीयता का उदाहरण पेश किया है। वह लोगो की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटते।

हाल ही में एक घटना सामने आयी है। बता दे की जम्मू कश्मीर में यदि कोई शख्‍स परेशानी में है तो वह मदद के लिए सीआरपीएफ की 'मददगार' हेल्‍पलाइन से सहायता मांग सकता है। इसी हेल्पलाइन की मदद से सीआरपीएफ ने तस्‍लीमा बेगम नामक महिला की जान बचायी। तस्‍लीमा बेगम की मदद कोई नहीं कर रहा था यहाँ तक कि उसके परिवार वालों ने भी उसका साथ छोड़ दिया था। जब सीआरपीएफ ने उसकी जान बचायी।

सीआरपीएफ के वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि, अपने परिवार के साथ तस्‍लीमा बेगम (परिवर्तित नाम) श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके में निवास करती है। परिवार में उसके पति मोहम्‍मद फैजल (परिवर्तित नाम) और उसके दो बच्‍चे हैं। उसका पति फैजल मजदूरी कर परिवार का पोषण करता हैं। कुछ महीनो तक तो परिवार में सब सही चल रहा था परन्तु कुछ दिनों से तस्‍लीमा की तबियत खराब होने लगी। उसके परिवार ने उसकी बीमारी को सामान्य बीमारी समझ कर उसी तरीके से इलाज करवाया। लेकिन तस्लीमा की तबियत और ख़राब होती गयी जिससे फैजल ने उसे बड़े अस्‍पताल में दिखाया वहां पर उसे तस्लीमा की सही बीमारी का पता चला की उसे ब्‍लड कैंसर है।

ब्‍लड कैंसर का नाम सुनकर पूरे परिवार गम का माहौल छा गया। क्योंकि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज करवाने में काफी पैसा खर्च होता है। उसके पति फैजल ने मेहनत करके पैसा जुटाना शुरू किया साथ ही अपने रिश्तेदारों से भी मदद मांगी पर उसे मदद नहीं मिली। फैजल के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। फैजल के साथ काम करने वाले भी उसकी मदद करना चाहते है लेकिन उनकी कमाई भी इतनी नहीं होती थी की वह फैजल की मदद कर सके। ऐसे में उसके एक दोस्त ने सीआरपीएफ की मददगार हेल्‍पलाइन के बारे में बताया।

फैजल ने तुरंत ही सीआरपीएफ की मददगार हेल्‍पलाइन पर फोन कर अपनी परेशानियों को बताया। उसके बाद, सीआरपीएफ की एक मेडिकल टीम फैजल के घर पर पहुंची। तस्‍लीमा की सेहत की जाँच भी की और गंभीर हालत को देख कर सीआरपीएफ ने फैजल को विश्वास दिलाया कि 'मददगार' हेल्‍पलाइन हर परिस्थिति में उनकी सहायता करेगी।  इसके बाद  शहर के एक बड़े अस्‍पताल में तस्‍लीमा का इलाज शुरू किया गया। जिसके बाद तस्लीमा पूरी तरह स्वाथ्य होकर अपने घर जा सकेगी ।

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