लोकसभा का वर्तमान सत्र पिछले कार्यकालों के मुकाबले अच्छा चला इसमें कई बड़े निर्णय हुए है। यह सत्र अभी तक शांतिपूर्ण तरीके से चला है। इस सत्र में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के लोगों के विकास के लिए आरक्षण विधेयक पास किया। इस बिल पर संसद में लम्बी चर्चा हुई और फिर शुक्रवार को इस बिल पर लोकसभा में सभी सांसदों की मोहर लग गयी। जम्मू कश्मीर में वर्तमान में किसी की भी सरकार नहीं है और वहां पर अभी राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है जो कि एक दो दिन में समाप्त होने वाला है और गृहमंत्री अमित शाह ने इस पर भी लोकसभा में चर्चा की और जम्मू कश्मीर में चल रहे राष्ट्रपति शासन को आगे बढ़ाने के लिए भी प्रस्ताव पारित किया । इस प्रस्ताव को लोकसभा में शुक्रवार को मंजूरी मिल गयी थी।
इन दोनों प्रस्ताव को लोकसभा से राज्य सभा में पेश किया गया। राज्य सभा के सदस्यों ने भी इन दोनों प्रस्तावों पर चर्चा करते हुए कल इसे सर्वसम्मति से पास कर दिया। इसे केंद्र सरकार जल्द ही राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने वाली है। राष्ट्रपति की मोहर लगते ही यह कानून बन जाएगा, और जम्मू कश्मीर में रह रहे लोगों को आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में चल रहे राष्ट्रपति शासन की अवधि जो कि समाप्त होने वाली थी को भी छह महीनों के लिए आगे बड़ा दिया गया है।
राज्यसभा में आरक्षण बिल पेश करते समय गृहमंत्री अमित शाह ने सभी राज्य सभा सांसदों को संबोधित करते हुए जम्मू कश्मीर की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा : 'मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता। मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है। जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। जम्हूरियत गांव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच, सरपंच तक जानी चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया। जम्मू कश्मीर में 70 साल से करीब 40 हजार लोग घर में बैठे थे जो पंच-सरपंच चुने जाने का रास्ता देख रहे थे। क्यों अब तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराये गये, और फिर जम्हूरियत की बात करते हैं। मोदी सरकार ने जम्हूरियत को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम किया है।'