मिशन मोड में अमित शाह, गृह मंत्रालय संभालते ही कर रहे हैं ताबड़तोड़ बैठक

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Rishabh Verma
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मिशन मोड में अमित शाह, गृह मंत्रालय संभालते ही कर रहे हैं ताबड़तोड़ बैठक

गृह मंत्रालय का ज़िम्मा मिलते ही अमित शाह ने मिशन मोड में काम करना शुरू कर दिया है। वे देश के घरेलु मामलों को लेकर एक के बाद एक लगातार मीटिंग्स कर रहे हैं। आज ईद के मौके पर भी बिना छुट्टी लिए अमित शाह मंत्रालय पहुंचे और गृह सचिव राजीव गौबा तथा ज्वाईंट सेक्रेटरी से नक्सल समस्या पर बात की।

अमित शाह ने कल अमरनाथ यात्रा और कश्मीर पर भी बैठक की। शनिवार के दिन गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के साथ ही अमित शाह ने अब तक कई बैठकें कर डाली हैं। वे अकेले कश्मीर के मुद्दे पर 3 बार बैठक कर चुके हैं जबकि उन्हें कार्यभार ग्रहण किये महज 5 दिन हुए हैं।

अमित शाह अब तक गृह मंत्रालय से जुड़े सभी 22 विभागों का प्रेजेंटेशन ले चुके हैं। वे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, रॉ प्रमुख और आईबी प्रमुख के साथ भी बैठक कर चुके हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर की सुरक्षा स्थिति का भी जायजा लिया तथा वे जम्मू कश्मीर के गवर्नर से भी मिल चुके हैं। अमित शाह ने 4 जून को अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा समीक्षा बैठक भी की। अधिकारियों के अनुसार अमित शाह जल्द ही क्षेत्र का दौरा कर सकते हैं।

जम्मू कश्मीर की स्थिति का जायजा

कल गृहमंत्री को जम्मू कश्मीर की हालातों के बारे में विस्तृत ब्यौरा भी सौंपा गया। अधिकारियों के उन्हें क्षेत्र की ज़मीनी स्थिति की जानकारी की। आतंकवाद की चपेट में फंसे राज्य में भाजपा परिसीमन कराना चाहती है। ऐसे में वहां शांति की स्थापना और सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।

ग़ौरतलब है कि 2002 में जम्मू कश्मीर की तत्कालीन सरकार ने परिसीमन पर 2026 तक के लिए रोक लगा दी थी। मोदी सरकार द्वारा इस रोक को हटाकर परिसीमन कराने की योजना का जेकेपीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने विरोध किया है।

परिसीमन से होगा कश्मीर की सियासत में बदलाव

परिसीमन के द्वारा भाजपा जम्मू संभाग में क्षेत्रीय विषमता को कम करना चाहती है। इसके अलावा पार्टी का उद्देश्य राज्य में एससी और एसटी को प्रतिनिधित्व देना भी है। कानून के जानकार कहते हैं कि संविधान में संशोधन को जम्मू कश्मीर के राज्य पाल सत्यपाल मलिक के द्वारा निरस्त किया जा सकता है लेकिन इसके लिए इसका अध्यादेश जारी करके 6 महीने के भीतर संसद से सहमति लेनी होगी। राज्य में परिसीमन से भाजपा को मजबूती मिलेगी इसलिए भी वह यहाँ परिसीमन कराना चाहती है।

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