मोदी सरकार में पिछले 5 सालों तक देश की सुरक्षा को दुरुस्त करने वाले अजीत डोभाल फिर से नयी सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किये गए हैं। इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिला है। भारत की सुरक्षा में उनके द्वारा किये गए विश्वसनीय कार्यों के लिए उन्हें मोदी सरकार ने फिर से ये ज़िम्मेदारी सौंपी है।
अजीत डोभाल के नेतृत्व में बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना के द्वारा हमला किया गया है। खुद अजीत डोभाल ने इस हमले की जानकारी प्रधानमंत्री मोदी को दी थी। पाकिस्तान पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद वे काफी चर्चा में आ गये थे। अजीत डोभाल के आने से पाकिस्तान के प्रति भारत की नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। उन्होंने भारत की ‘रक्षात्मक’ नीति को बदलकर ‘रक्षात्मक आक्रामक’ कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान के साथ व्यवहार में ‘डबल स्क्वीज़ स्ट्रेटेजी’ को भी अमल में लाया है।
भारत के दुश्मनों को तबाह करने के लिए 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक की नीति में अजीत डोभाल का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने तीनों सेनाओं के प्रमुखों से मुलाक़ात के बाद पीओके में आतंकी शिविरों पर हमले की योजना बनाई थी। अजीत डोभाल के बारे में कहा जाता है कि वे ख़ुफ़िया विभाग में काम करते हुए 7 वर्ष पाकिस्तान में रहे थे।
1968 की केरला कैडर के आईपीएस ऑफिसर अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अलावा 2018 में एसपीजी ( स्ट्रेटेजिक पालिसी ग्रुप) का चेयरमैन भी बनाया गया था। 1988 में अजीत डोभाल को शौर्य और साहस के प्रदर्शन के लिए सबसे बड़ा अवार्ड ‘कीर्ति चक्र’ दिया गया था। वे इस अवार्ड को पाने वाले पहले पुलिस अफसर थे। ये अवार्ड सिर्फ सेना को ही दिया जाता था।
वर्ष 1989 में उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ का नेतृत्व किया था। बालाकोट एयर स्ट्राइक में पाकिस्तान के कब्जे में आये विंग कमांडर अभिनन्दन को सुरक्षित वापिस लाने में अजित डोबाल ने बड़ी कुशलता का परिचय दिया। मोदी सरकार ने उन्हें फिर से सुरक्षा सलाहकार नियुक्त कर उनकी सुरक्षा मामलों में उनकी सूझबूझ पर मुहर लगा दी है।