आखिर क्यों देवशयनी एकादशी से अगले चार महीने तक सो जाते हैं भगवान विष्णु, जाने इसकी वजह

Go to the profile of  Nikhil Talwaniya
Nikhil Talwaniya
1 min read
आखिर क्यों देवशयनी एकादशी से अगले चार महीने तक सो जाते हैं भगवान विष्णु, जाने इसकी वजह

ऐसा माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं। जिसके कारण इन चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य जैसे कि नामकरण, जनेऊ, शादियां, ग्रह प्रवेश, मुंडन आदि नहीं किया जाता है ।  जब चार महीने पूरे होते है तो देवप्रबोधनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जाग जाते हैं। भगवान विष्णु के जाग जाने के बाद से हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है ।

क्या आपको पता है कि भगवान विष्णु चार महीने के लिए निंद्रा में क्यों जाते है ? एक कथा के मुताबिक वामन पुराण में अपने बल और पराक्रम से असुरों के राजा बलि ने तीनो लोकों को जीत लिया था। राजा बलि से घबराकर इंद्र देवता ने भगवान विष्‍णु से मदद मांगने के लिए पहुंचे। देवताओं की याचना पर भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार धारण कर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे।

बलि से वामन भगवान ने तीन पग भूमि मांग ली। बलि ने उनको तीन पग भूमि देने का वचन दिया। अब वामन भगवान ने पहले पग में धरती और दूसरे पग में आकाश को नाप लिया। इसके बाद जब तीसरा पग नापने की बारी आयी तो पैर रखने के लिए कुछ भी नहीं बचा था तब राजा बलि ने तीसरा पग उनके सिर पर रखने को कहा। भगवान वामन ने ठीक ऐसा ही किया।  

भगवान के ऐसा करने से देवताओं की सारी चिंता समाप्त हो गई।  भगवान विष्णु राजा बलि के इस दान-धर्म से अत्यंत प्रसन्न‍न हुए और उन्‍होंने राजा बलि को वरदान मांगने के लिए कहा । वरदान  स्वरुप बलि ने भगवान विष्णु को पाताल में बसने का वर माँगा । जिसकी इच्छा पूर्ण करने के लिए भगवान को पाताल जाना पड़ा। जब भगवान विष्‍णु के पाताल चले गए तो समस्त देवतागण चिंतित हो गए साथ ही माता लक्ष्‍मी भी चिंतित हो गयी और माता लक्ष्‍मी ने भगवान विष्‍णु को वापस लाने के लिए एक गरीब स्‍त्री का रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंची । वहां पहुँचकर उन्होने राजा बलि को अपना भाई बनाकर राखी बांध दी और राखी के बदले में भगवान विष्‍णु को वापस ले जाने का वचन मांग लिया।

जब भगवान विष्‍णु पाताल से विदा ले रहे थे तब उन्होंने राजा बलि को वरदान दिया कि वह आषाढ़ शुक्‍ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तक पाताल लोक में ही वास करेंगे। जिस अवधि में वह पाताल लोक में रहते है उसे योगनिद्रा माना जाता है।

GO TOP