सावन का महीना शुरू हो चुका है। इस पावन माह में कावड़िए अपने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कावड़ यात्रा करते है। कावड़िए दुर्लभ रास्तों और कठिन परिस्थियो का सामना करते हुए भी भगवान शिव का जलाभिषेक कर अपनी यात्रा को पूर्ण करते है। सावन महीने में ऐसा भी ज़रुरी नहीं है कि कावड़ लेकर ही जाए। भगवान शिव के दर्शन कर के भी आप सावन माह का पुण्य प्राप्त कर सकते है।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिग का तो महत्व इस माह में बढ़ जाता है साथ ही शिव के ऐसे कई अन्य मंदिर भी हैं जिनका भी विशेष महत्व है। श्रीखण्ड महादेव का भी अपना विशेष महत्त्व है। चलिए आपको इसके बारे में जानकारी देते है।
श्रीखण्ड महादेव का मंदिर दुनिया की सबसे उचाई पर स्थित धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर हिमाचल के कुल्लू में है और इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 25 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी होती है। इसलिए इसे अमरनाथ यात्रा से भी कठिन माना जाता है। श्रीखण्ड महादेव शिवलिंग के रूप में स्थापित है। यहाँ पहुंचने से पहले माता पार्वती, गणेश और कार्तिके भगवान की प्रतिमाएं भी मिलती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार यह वह स्थान है जहाँ पर भस्मासुर ने तप कर भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया था। उसने वरदान माँगा की वह जिस पर भी हाँथ रखे वह भस्म हो जाए। उसके बाद भस्मासुर के मन में पाप आया और वह माता पार्वती को पाने की इच्छा रखने लगा। वह भगवान शिव पर हाँथ रख उन्हें भस्म करना चाहता था। इस दौरान भगवान विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण कर भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी कर लिया और नृत्य करते करते भस्मासुर ने खुद के सर पर हाथ रख लिया और भस्म हो गया। बताया जाता है कि इस कारण आज भी वहां की मिट्टी और पानी का रंग लाल है।
यहाँ पहुंचने के लिए सबसे पहले शिमला जिले के रामपुर पहुँचना होता है और वहां से कुल्लू जिले के निरमंड होते हुए बागीपुल और जाओं तक गाड़ियों और बस द्वारा पहुँचना होता है। फिर आगे की यात्रा लगभग 30 किमी की दूरी पैदल तय करनी होती है।