उमर अब्दुल्ला ने माँगा कश्मीर से लिए अलग PM और राष्ट्रपति, पीएम मोदी ने किया पलटवार

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Prabhat Sharma
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उमर अब्दुल्ला ने माँगा कश्मीर से लिए अलग PM और राष्ट्रपति, पीएम मोदी ने किया पलटवार

जम्मू कश्मीर के राजनेता उमर अब्दुल्ला ने अपने एक भाषण के दौरान कुछ ऐसी बातें कह दी हैं जिससे राजनीतिक पारा गरमाने लगा है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने इस दौरान जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को हटाने से कश्मीर का रिश्ता भारत के साथ खत्म होने की बात कहते हुए जम्मू कश्मीर में अलग पीएम और राष्ट्रपति बनाने की मांग कर दी।  

पीएम मोदी ने उमर अब्दुल्ला के कश्मीर के लिए अलग पीएम और राष्ट्रपति की वकालत करने वाले बयान सोमवार को जमकर निशाना साधा। इसके साथ ही साथ उन्होंने कांग्रेस और महागठबंधन की पार्टियों के नेताओं से भी इस मामले पर अपना पक्ष साफ़ करने को कहा है।

पीएम मोदी ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीर के लिए एक अलग प्रधानमंत्री होना चाहिए।” उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से प्रश्न करते हुए पूछा, ‘‘हिंदुस्तान के लिए दो प्रधानमंत्री? क्या आप इससे सहमत हैं? कांग्रेस को जवाब देना होगा और महागठबंधन के सभी सहयोगियों को जवाब देना होगा। क्या कारण हैं और उन्हें ऐसा कहने की हिम्मत कैसे हुई।’’

मोदी यहीं नहीं रुके और उन्होंने विपक्ष के नेताओं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और राकांपा प्रमुख शरद पवार का नाम लेते हुए उन सब से प्रश्न किया की ‘क्या वे उमर अब्दुल्ला के बयान से सहमत हैं?’

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं बंगाल की दीदी से पूछना चाहता हूं जो काफी शोर मचाती हैं, क्या आप इससे सहमत हैं? जनता को जवाब दीजिये। नेशनल कॉन्फ्रेंस आपकी दोस्त है। आंध्रप्रदेश में एक यू-टर्न बाबू हैं। ये यूटर्न (चंद्रबाबू) बाबू से जिनके साथ हाल में फारुक अब्दुल्ला ने आंध्र प्रदेश में प्रचार किया था, उन्हें भी जवाब देना चाहिए। क्या आप मानते हैं कि नायडू को वोट मिलने चाहिए?’ ‘राकांपा के शरद पवार और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा जिनके पुत्र कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं, उन्हें भी जवाब देना चाहिए। क्या आप उनके (महागठबंधन) साथ जाना चाहेंगे? क्या उनसे अलग होंगे?’’

जल्द ही होने वाले लोकसभा चुनावों में यह मुद्दा भाजपा जाने नहीं दे सकती है। साथ ही साथ इस मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा कुछ कहना भी उनपर भारी पर सकता है और अल्पसंख्यक वोट जिसके लिए हर विपक्षी पार्टी लालायित रहती है वो उसे खो सकती है।

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