पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा कर लिया है और अब अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने वाले है। नरेन्द्र मोदी का पहला कार्यकाल कई तरह के क्रांतकारी फैसलों से भरा हुआ रहा जैसे कि नोटबंदी, वन रैंक वन पेंशन, नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, ट्रिपल तलाक बिल, आदि । इन फैसलों ने राजनितिक भूचाल ला दिया था। लेकिन मोदी के इन फैसलों ने एक सश्क्त भारत के निर्माण की नींव रखी।
अब मोदी जी अपने दूसरे कार्यकाल में सशक्त भारत की अपनी परिकल्पना को पूर्ण करने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले है। प्रधानमंत्री मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में 5 कठिन फैसले ले सकते है जिसे वह 6 महीने से लेकर एक साल के अंदर ही सामने ला सकते है। चलिए आपको बताते है कि वह फैसले कौन से हो सकते है।
बता दें की मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान नौकरी सृजन करने की विफलता के कारण अधिक आलोचना हुई थी। इसलिए केन्द्र सरकार की अब अपने अगले कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर एक रोजगार एक्सचेंज जैसा प्लैटफॉर्म खड़ा करने की कोशिश होगी। इस प्लैटफ़ॉर्म के जरिये सरकारी और निजी क्षेत्रों के रोजगार आंकड़ों के साथ-साथ दोनों ही क्षेत्रों से आने वाली नई रिक्तियों को दाखिल किया जाएगा।
इसके अलावा पहले कार्यकाल की और एक बड़ी विफलता रही है नई शिक्षा नीति को न ला पाने की। यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि पीएम मोदी शिक्षा के क्षेत्र में इस अहम सुधार हेतु लोकसभा में एक मजबूत संख्या की प्रतीक्षा कर रहे थे।
इतना ही नहीं देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए मोदी सरकार बहुत शीघ्र ही देश में दो संतान नीति को भी लागू कर सकती है। बता दें की देश की जनसंख्या 134 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। प्रजनन दर 2.33 जन्म प्रति महिला के उच्च स्तर तक पहुंच गयी है। जबकि देखा जाये तो अमेरिका में प्रजनन दर 1.80 है और चीन में प्रजनन दर 1.62 है।
यदि भारत की जनसँख्या इसी तरह बढ़ती रही तो 2024 तक यह दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा और फिर भारत को जनसंख्या के लिए स्वास्थ और संसाधन जुटाने में बहुत कठिनाई होगी। इसलिए मोदी सरकार इस पर भी कदम उठाने वाले हैं।
इसके अलावा अपने कार्यकाल में मोदी सरकार सबसे पहले कश्मीर के लिए संविधान के विशेष प्रावधान अनुच्छेद 35A को खत्म कर सकती है। मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल के दौरान जनसंख्या वृद्धि में जारी असंगति के विरोध में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन का मुद्दा उठाया था। मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में एनआरसी का प्रावधान असम राज्य हेतु किया था। अब नए कार्यकाल में इसके दायरे में समस्त एनडीए शासित राज्यों को लाने का कार्य किया जाएगा।