सोशल मीडिया पर फ़िल्मी सितारों के बीच वाद विवाद आम बात हो चुकी है। ऐसा ही एक विवाद सोशल मीडिया पर एक बार फिर सभी नजरों में आया है। यह विवाद फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी हस्ती डायरेक्टर शेखर कपूर और मशहूर गीतकार जावेद अख्तर के बीच हुआ है। बीते दिनों देश की 49 जानी-मानी हस्तियों ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमे मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के विरोध और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाने का निवेदन किया है। पीएम मोदी को लिखे गए इस पत्र का विरोध करते हुए 61 जानी-मानी हस्तियों ने भी विरोध में एक पत्र लिखा है।
डायरेक्टर शेखर कपूर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हेंडल से एक ट्वीट किया जिसमे उन्होंने लिखा "बंटवारे के रिफ्यूजी के तौर पर जीवन शुरू किया। पैरंट्स ने अपने बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए सबकुछ किया। हमेशा से 'बुद्धिजीवियों' के डर में जिया हूँ। उन्होंने हमेशा मुझे तुच्छ होने का अहसास दिलाया। बाद में उन्होंने अचानक मेरी फिल्मों के कारण गले लगा लिया। मैं अब भी उनसे डरता हूँ। उनका गले लगना सांप के डसने जैसा होता है। अभी भी मैं एक रिफ्यूजी हूँ।"
शेखर कपूर का किया हुआ ट्वीट एक तरह से यह दर्शाता है कि वे भारतीय नहीं कोई बाहरी है। डायरेक्टर शेखर कपूर के इस ट्वीट पर मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने टिप्पणी करते हुए कहा "अभी भी रिफ्यूजी होने से आपका क्या मतलब है। इसका यह मतलब है कि आप अभी भी खुद को भारतीय नहीं बल्कि बाहर का महसूस करते हैं और आपको ऐसा लगता कि यह आपकी मातृभूमि नहीं है। अगर आपको भारत में भी रिफ्यूजी जैसा महसूस होता है तो कहां आप खुद को रिफ्यूजी महसूस नहीं करेंगे, पाकिस्तान में? बेचारे अमीर लेकिन अकेले आदमी, यह ड्रामा बंद कीजिए।"
अपने अगले ट्वीट में जावेद अख्तर ने लिखा "कौन हैं ये बुद्धिजीवी जिन्होंने आपको गले लगाया और आपको उनका साथ सांप के डसने जैसा लगा? श्याम बेनेगल, अदूर गोपाल कृष्णा, राम चंद्र गुहा? सच में? शेखर साहब आप ठीक नहीं लग रहे हैं। आपको मदद की जरूरत है। मान जाइए, एक अच्छे साइकेट्रिस्ट से मिलना कोई शर्म की बात नहीं है।"