जिस मामले में गौतम गंभीर ने दी सेकुलरिज्म की दुहाई उस मामले में वास्तव में वैसा कुछ हुआ ही नहीं था

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Rishabh Verma
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जिस मामले में गौतम गंभीर ने दी सेकुलरिज्म की दुहाई उस मामले में वास्तव में वैसा कुछ हुआ ही नहीं था

शनिवार की रात को हरियाणा के गुरुग्राम में सदर बाजार स्थित जामा मस्जिद के समीप एक मामला सामने आया था जिसमे कहा गया की कुछ लोगों ने एक मुस्लिम युवक की टोपी फेंकी और ज़बरदस्ती उससे 'जय श्रीराम' भी बुलवाया। इसी मामले पर नए नए सांसद बने गौतम गंभीर ने भी त्वरित टिप्पणी करते हुए सेकुलरिज्म की दुहाई दे दी थी। पर इस मामले में शुरुआत में जैसी बातें बताई गई थी वास्तव में मामले वैसा नहीं था।

पुलिस ने इस मामले की जाँच की जिसमे उन्होंने पाया कि मुस्लिम युवक मोहम्मद बरकत अली के साथ मारपीट की गयी। लेकिन ना तो उसकी शर्ट फाड़ी गयी और ना ही टोपी फेंकी गई। इसके साथ ही उससे “जय श्री राम” बुलवाने की बात भी गलत साबित हुई।

बता दें कि शुरुआत में पुलिस की जांच में मुस्लिम युवक के आरोप निराधार ही दिख रहे थे। परन्तु जब सीसीटीवी की फुटेज देखी गयी तो यह बात सामने आयी है। जिसमे आरोपी ने नहीं, जबकि एक अन्य युवक ने उसे रोका था। इस फुटेज में शिकायत कर्ता की न तो टोपी फेंकी गई है और न ही उसके कपड़े फाड़ने की कोई घटना दिखी है।

पुलिस ने जानकारी दी कि दोनों में कहासुनी हुई फिर उनमे हाथापाई हुई थी। इसी दौरान मुस्लिम युवक की टोपी गिर गई। 'उसने खुद ही टोपी को उठाकर जेब में रख लिया, उसे किसी और ने हाथ भी नहीं लगाया।

बता दें की मामला यह था कि बरकत अली शनिवार रात को सदर बाजार स्थित जामा मस्जिद से अपने घर की तरफ जा रहा था इसी दौरान उसे 6 युवकों ने रोका। जिसमे आरोप लगाया गया है कि उसे एक युवक ने टोपी उतारने को कहा था साथ ही जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे लगाने को कहा गया। उसके मना करने पर उसके साथ मारपीट की गई।

इस मामले की जाँच करने के बाद पुलिस अधिकारियों के ने बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा एक छोटी सी मारपीट की घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया गया है उन्होंने बताया कि  यह घटना शराब के नशे में मारपीट की घटना है। पुलिस ने फुटेज को साफ करवाने हेतू लैब भेज दिया है, जिससे आरोपी की पहचान हो सके।

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