जाने होली के 5 दिन बाद कहाँ कहाँ मनाई जाती है रंग पंचमी और क्या है इसका महत्व?

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Punctured Satire
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जाने होली के 5 दिन बाद कहाँ कहाँ मनाई जाती है रंग पंचमी और क्या है इसका महत्व?

भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है। यहाँ हर त्योहारों को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। होली भी भारतीय प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। इसे देश के हर हिस्से में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली से 5 दिन बाद रंग पंचमी मनाई जाती है। यह होली का अंतिम दिन माना जाता है।

रंग पंचमी का त्यौहार विशेष रूप से मध्यप्रदेश और गुजरात के अलावा उत्तरप्रदेश के मथुरा, वृंदावन के साथ साथ महाराष्ट्र के भी कई क्षेत्रों में मनाई जाती है। रंगपंचमी होली का ही एक हिस्सा है।  जैसे मथुरा, वृंदावन की होली बहुत ही अनोखी प्रसिद्ध होली मानी जाती है वैसे ही इंदौर की रंग पंचमी भी देश में काफी फेमस मानी जाती है। यहाँ लोग हज़ारों की संख्या में इकट्ठा होकर रंग पंचमी का त्यौहार मानते है।

इस त्यौहार के दिन लोग गैर बनाकर शहर के अन्य हिस्सों से शामिल होते है। इस दिन इंदौर शहर में सड़कों पर रंग मिला सुगंधित पानी भी छिड़का जाता है। महाराष्ट्र में होली धुलेंडी अर्थात रंग वाली होली के दिन से होली खेलने की शुरुआत की जाती है और यह पंचमी तक चलती है। रंग पंचमी आमतौर पर सूखे रंगों से खेली जाती है।

राजस्थान में रंग पंचमी दिन विशेष रूप से जैसलमेर के मंदिर महल में बहुत धूमधाम होती है। इस दिन वहां पर लोकनृत्यों का आयोजन भी किया जाता है साथ में गुलाल के अनेक रंगो को हवा में उड़ाया जाता है।

बता दें की होली का यह पर्व चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से शुरू होकर पंचमी तक रहता है। कृष्ण पंचमी के दिन भी लोग गुलाल से होली खेलते है और इसी कारण से ही इसे रंग पंचमी कहा जाता है। कोकण क्षेत्र का यह खास पर्व होता है। कुछ लोग होली को पांच दिन तक मानते है तो कुछ लोग इसे सात दिन तक भी मानते है। लेकिन रंग पंचमी को देश के कई हिस्सों में बहुत ही धूम धाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

रंग पंचमी मनाने के पीछे यह मान्यता है की रंग और गुलाल के उड़ने से सात्विक गुणों में वृद्धि होती है। साथ ही मनुष्यों के दुर्गुण भी दूर हो जाते है। यह भी माना जाता है की जब रंग और गुलाल को उड़ाया जाता है तथा एक दूसरे पर लगाया जाता है तो ऐसा करने से देवी-देवता भी आकर्षित होते है। इतना ही नहीं इससे बुरी शक्तियों का भी नाश हो जाता है।

गुलाल के हवा में उड़ाने से वातावरण के कण भी शुद्ध हो जाते है साथ ही नकारात्मक ऊर्जा भी नष्ट होती है। यह त्यौहार प्राचीन काल से मनाया जाता आर हा है। शास्त्रों के अनुसार रंग पंचमी अनिष्कारी और नकारात्मक शक्तियों पर विजय प्राप्ति का त्यौहार माना जाता है।

देश के कई हिस्सों में रंग पंचमी के दिन नाच गाने होते है। गुलाल उड़ाया जाता है साथ ही जुलुस भी निकाले जाते है। रंग पंचमी के लिए घरों में पकवान भी बनाये जाते है, इस दिन विशेष रूप से पूरनपोली बनाया जाता है। कुछ लोग पूरनपोली को मीठा खाना पसंद करते तो कुछ लोग इसे नमकीन रूप में भी खाते है। लेकिन विशेष रूप होली पर इसे बनाने की परम्परा होती है। देश के कई हिस्सों में होली के दिन मालपुआ भी मनाया जाता है।

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