अमेरिकी कांग्रेस की पहली हिंदु सदस्य तुलसी गबार्ड ने आधिकारिक तौर पर साल 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में आधिकारिक तौर पर अपनी दावेदारी पेश कर दी है। अमेरिका के इतिहास में अब तक कोई हिन्दू नेता राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार नही बना है। तुलसी 2013 से अमेरिका के हवाई राज्य से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट सांसद हैं। 37 साल की तुलसी गबार्ड हिन्दू है। लेकिन तुलसी भारतीय मूल की नही है। अगर तुलसी गबार्ड जीत जाती है तो इस जीत से वह देश की सबसे युवा और पहली महिला व हिंदू राष्ट्रपति बन जाएंगी।
तुलसी भले ही भारतीय मूल की नही है पर वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समर्थक हैं। तुलसी अमेरिकी संसद की आर्म्ड सर्विस कमेटी और विदेश मामलों की कमेटी की सदस्य हैं। चार बार की सांसद तुलसी भारत और अमेरिका के संबंधों की बड़ी समर्थक हैं। अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय के बीच तुलसी गबार्ड काफी लोकप्रिय हैं। वह पहली अमेरिकी सांसद हैं जिन्होंने गीता पर हाथ रखकर संसद की सदस्यता की शपथ ली थी। तुलसी ने अपने व्हाइट हाउस की रेस के लिए एक एंटी-वॉर मैसेज पोस्ट किया इसके साथ ही उन्होंने विदेशी धरती पर अमेरिकी हस्तक्षेप का विरोध किया और साथ ही कई ताकतवर राजनेताओं को भी फटकार लगाई है। तुलसी ने अपने मैसेज में रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों के नेताओं को नहीं बख्शा है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी लोगों के सामने भी बहुत सारी चुनौतियाँ हैं, जिनके बारे में मुझे चिंता है और जिन्हें मैं हल करने में मदद करना चाहती हूं। यहां एक सबसे बड़ा मुद्दा युद्ध और शांति का है। तुलसी गबार्ड का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था उनकी मां कॉकेशियन हिंदू हैं इसी कारण तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म को मानती आयी है।