पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग सेंटर में बनी चार इमारतों को ध्वस्त कर दिया था। यह आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की इमारतें थी जहाँ मसूद अज़हर नामक आतंकी अपना संगठन चला रहा था। लेकिन पाकिस्तान इस बात से मुकर रहा है और कह रहा है की उसे किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है।
आपको बता दे की पाकिस्तान को इसका कितना नुकसान हुआ है इस बात की जानकारी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताई गयी है। साथ ही यह भी पता चला है की इस हमले के दौरान ज़मीनी खुफिया जानकारी और टेक्नीकल इंटेलिजेंस की सीमाओं की जानकारी मिलने में कमी हुई थी जिसके कारण हमले में मारे गए आतंकियों की सही संख्या पता नहीं चल सकी। हालाँकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मिराज-2000 विमानों द्वारा चकोटी, बालाकोट, मुजफ्फराबाद में 1000 किलो तक बम गिराए गए थे जिससे 350 आतंकियों की मृत्यु की खबर सामने आयी थी।
सूत्रों के अनुसार यह बात भी सामने आयी की इंटेलिजेंस एजेंसियों के पास सिंथेटिक एपरचर रडार (एसएआर) की तस्वीरें हैं और इस हमले के साबुत भी है। इन तस्वीरों द्वारा यह पता चलता है की चार इमारतों को निशाने पर लिया गया था और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों द्वारा पांच एस-2000 प्रीसीशन-गाइडेड म्यूनिशन (पीजीएम) दागे गए।
इस बात की भी पुष्टि हो गयी की जिन इमारतों पर बम गिराए गए, वह मदरसे के कैम्पस में ही बने थे और वह मदरसा जैश द्वारा ही संचालित होता था।
रडार से इस बात का भी पता चलता है कि बिल्डिंग का उपयोग गेस्टहाउस के रूप में किया जाता था। यहाँ पर जैश सरगना मसूद अजहर का भाई रहता था। यहाँ पर आतंकी बनने की ट्रेनिंग भी दी जाती थी।
यह भी जानकारी मिली है की "मदरसे में प्रवेश करने वाले छात्रों हेतु एक दो मंजिला इमारत का इस्तेमाल किया जाता था और एक अन्य इमारत में अंतिम लड़ाकू प्रशिक्षण करने वाले आतंकी रहते थे, उन्हें भी बम द्वारा मारा गया था।"