अयोध्या मामले में मध्यस्थता के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायलय ने फैसला सुरक्षित रखा

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अयोध्या मामले में मध्यस्थता के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायलय ने फैसला सुरक्षित रखा

अयोध्या जन्मभूमि को लेकर जो विवाद चल रहा है वो खत्म ही नहीं हो रहा है। अयोध्या में राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद सदियों पुराना है। कई बार इस मामले की सुनवाई को आगे बड़ा दिया गया है। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के भूमि विवाद को अपनी मध्यस्थता में आपसी बातचीत से हल करने की पहल पर विचार करने के लिए आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। बता दे पिछली बार 26 फरवरी को अदलात में कहा गया था की 6 मार्च को आदेश देगा कि मामले को अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए या नहीं।

इस विषय में आज सुनवाई हुई जिसमे 1 मुस्लिम पक्षकार व 2 हिन्दू पक्षकार थे। आयोध्या मामले में मध्यस्थता पर सर्वोच्च न्यायलय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इनमे से 1 हिन्दू पक्षकार और मुस्लिम पक्षकार ने इस मध्यस्थता पर अपनी सहमति जताई वही दूसरा हिन्दू पक्षकार ने इस पर असहमति जताई। उनका मानना है कि मध्यस्थता से इस केस में देरी होगी और जल्द फैसला नहीं आ पायेगा। इस पक्ष ने सर्वोच्च न्यायलय से अपील की है कि आयोध्या मामले का फैसला न्यायालय सुनाए।

विवाद से जुड़े सभी मुस्लिम पक्षकार और प्रमुख हिन्दू पक्षकारों में से निर्मोही अखाड़ा अदालत की मध्यस्थता में आपसी बातचीत से विवाद को हल करने के लिए राजी हो गए हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि यदि इस विवाद का आपसी सहमति के आधार पर समाधान खोजने की संभावना हो तो संबंधित पक्षकारों को मध्यस्थता का रास्ता अपनाना चाहिए।

बता दे इसके पहले हिन्दू पक्षकार आपसी बातचीत से इस विवाद के हल के लिए तैयार नहीं थे। उनका मानना है की कोर्ट ही इसकी सुनवाई करे बातचीत से हल नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा इसके पहले भी मध्यस्थता का प्रयास हुआ लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।  वही दूसरी तरफ मुस्लिम पक्षकार ने कहा सुप्रीम कोर्ट अपनी मध्यस्थता में विवाद को बातचीत से हल करवाने पर सहमति देता है तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा। वो इसके लिए तैयार है।

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