जीरो से हीरो बनने का सफर नहीं था आसान, ज़मीनी स्तर की मेहनत ने दिलाई मोदी को कामयाबी

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Nikhil Talwaniya
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जीरो से हीरो बनने का सफर नहीं था आसान, ज़मीनी स्तर की मेहनत ने दिलाई मोदी को कामयाबी

क्या कभी किसी ने यह सोचा होगा की भारत देश का एक साधारण सा व्यक्ति जो अपने बाल्यकाल में चाय बेचकर अपनी जीविका चलाता था वह एक दिन पूरे देश को चलाएगा! ऐसा सपना तो बहुत से लोग देखते होंगे की वह कभी देश के प्रधान मंत्री बने। लेकिन वडनगर गुजरात के रहने वाले नरेंद्र मोदी ने अपने सपने को सच कर दिखाया है। देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म 1950 में वडनगर गुजरात के बहुत ही सामान्य से परिवार में हुआ था। नरेंद्र मोदी के पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी है। मोदी अपने पिता के साथ चाय स्टॉल लगाते थे। मोदी जी ने राजनीति शास्त्र में एम ए किया।

आपको बता दे मोदी जी को पढ़ने का बहुत शौक था। वह बचपन से ही कुशल वक्ता थे साथ ही उनका झुकाव संघ की ओर भी था। 17 वर्ष की उम्र में ही मोदी जी अहमदाबाद चले गए और वही से उन्होंने स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन गए। कई वर्षो तक मोदी संघ के प्रचारक के रूप कार्य करते रहे। 1980 में मोदी जी गुजरात की ही भाजपा इकाई से जुड़ गए जिसमे उन्होंने बहुत ही लगन से कार्य किया और 1988 में वह बीजेपी के इस इकाई के महासचिव बना दिए गये। इस पद पर भी उन्होंने कई साल कार्य किये। 1990 के करीब उन्हें राजनैतिक पहचान मिलने लगी। इसी साल उन्होंने सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा जो की लाल कृष्ण आडवाणी की उपस्थिति में हुई के आयोजन में मुख्य भूमिका निभाई। इस दौरान कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की यात्रा हुई जिसमे भी मोदी की अहम भूमिका थी। इन सब चलते बीजेपी द्वारा उन्हें कई राज्यों का प्रभारी भी नियुक्त किया गया।

सन 1995 में मोदी जी ने अपनी चुनावी रणनीति के चलते सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। जिसके चलते उनकी प्रतिभा से बहुत से लोग प्रभावित हुए। 1995 में मोदी को बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया साथ उनको 5 राज्यों का पार्टी प्रभारी भी नियुक्त किया गया। इसके साथ साथ वे 2001 तक महासचिव पद पर भी बने रहे।

लेकिन वर्ष 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी दी गई। उस समय गुजरात में भयानक भूकंप भी आया था और भूकंप में 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

वर्ष 2001 में भुज में आये भूकंप के बाद पार्टी ने केशुभाई पटेल को हटाकर मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी मोदी जी को सौंप दी थी । 27 फरवरी 2002 को गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गयी जिसमे गोधरा के पास एक ट्रेन में आग लगा दी गयी, जिसमे 58 यात्रियों की मौत हो गयी। गोधरा से शुरू हुई ये हिंसा धीरे धीरे पूरे गुजरात में फ़ैल गयी और इस हिंसा मैं लगभग 1000 लोगो की मौत हुई थी। तब हुई उस हिंसा में मोदी सरकार को कई शहरों मैं कर्फ्यू लगाना पड़ा।

मानव अधिकार आयोग, मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने मोदी के खिलाफ इस हिंसा पर घेराबंदी शुरू कर दी और दंगे आरोपों की जाँच में सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में एक विशेष इन्वेस्टीगेशन टीम का गठन किया गया। 2010 में यह रिपोर्ट आयी की उनके खिलाफ कोई भी साबुत नहीं मिले है।

इन सब के चलते मोदी जी को हटाने का भी विरोध जोरो शोरो से चलता रहा। लेकिन अगले चुनावों में मोदी 127 सीटों से विजय घोषित हुए। यह उन लोगो को मुंह तोड़ जवाब था जो की मोदी जी को उनके पद से हटाना चाहते थे। उसके बाद मोदी जी ने गुजरात के लिए बहुत से विकास कार्य किये जिसके लिए जनता उन्हें पसंद करने लगी। गुजरात के साथ साथ मोदी जी की नजर केंद्र की गतिविधियों पर भी थी।

इसके बाद 2012 से 2014 के बीच मणिनगर के चुनाव क्षेत्र से वे भारी बहुमत से जीते। 2 साल तक वह वहां सत्ता में रहे और फिर प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश का नेतृत्व सम्हाला जब वे 26 मई 2014 को देश के प्रधानमंत्री बने।

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