पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पोती, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तथा पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की बेटी और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी पहले जहाँ इंदिरा की शक्ल-ओ-सूरत से मिलते जुलते शक्ल की वजह से चुनावों के समय सक्रिय होती थीं वहीं अब वे आखिरकार सक्रिय राजनीति में पदार्पण कर चुकी हैं। इस पदार्पण से जहाँ काँग्रेसी बहुत खुश हैं वहीं मीडिया का एक वर्ग जिसे आम तौर पर लुटियन मीडिया कहा जाता है भी बहुत खुश नजर आ रही है। पर शायद आप प्रियंका के उस बयान को नहीं भूले होंगे जिसमे उन्होंने पीएम मोदी को ‘नीच’ कह के संबोधित किया था और तब देश भर के लोगों ने मोदी के समर्थन में आ के उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय दे दिया।
ये पूरा वाक़या 5 मई साल 2014 को उत्तरप्रदेश के अमेठी में घटा था जहाँ से राहुल गांधी चुनाव लड़ते हैं। यहाँ पर अपने एक चर्चित बयान में प्रियंका गांधी जो तब कांग्रेस में किसी पद पर नहीं थी ने कहा था कि ‘नरेंद्र मोदी नीच राजनीति करते हैं’। तब गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री रहे और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ने प्रियंका गांधी के इस बयान को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया। मोदी ने इस बयान के नीच शब्द को अपनी जाती से जोड़ दिया। मोदी जी पिछड़ी जाती से आते हैं और जब उन्होंने अपनी रैलियों में कहा कि वे नीच जाति से हैं, इसलिए प्रियंका गांधी उनके बारे में इस प्रकार के बयान दे रही हैं।
प्रियंका गांधी के इस बयान को राजनीतिक हथियार बनाना मोदी का मास्टर स्ट्रोक बन गया और पूरा देश उनके समर्थन में खड़ा हो गया। इसी का परिणाम था की वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में देश के हर क्षेत्र में उठी मोदी लहर ने अरसे बाद देश को एक पूर्ण बहुमत की सशक्त सरकार दी जिसने कुशलता से अपना कार्यकाल पूरा किया और बिना किसी हिचक के कड़े निर्णय भी लिए।
हालांकि ऐसा कहना भी पूरी तरह सही नहीं होगा की की मोदी को 2014 के चुनावों में जीत सिर्फ इस बयान के बाद मिली। इसके अलावा मोदी के गुजरात मॉडल के विकास कार्यों पर भी देश ने भरोसा जताते हुए मोदी को इतना व्यापक समर्थन दिया था। प्रियंका का बयान भी इसमें एक कड़ी की तरह थी जिसकी चर्चा आज फिर से हो रही है क्योंकि चुनाव फिर एक बार आने वाले हैं और प्रियंका इस बार सक्रियता से राजनीति में भाग ले रही है तो ये समझना जरूरी है की क्या भारतीय जनता उनका वो चर्चित बयान भूल गई है जिसमे उनकी सामंती सोच झलकती थी।