उत्तराखंड सरकार ने इस बार अपनी विधानसभा में एक ऐसा विधेयक पेश किया है जो राजनीति के स्तर को सुधारने और परिवार नियोजन के लिए बेहद ही कारगर साबित हो सकता है। 25 जून को उत्तराखंड विधानसभा में यह विधेयक पेश किया गया था जिस पर सदन के सभी विधायकों ने चर्चा की थी। विपक्ष द्वारा इस बिल का जमकर विरोध भी किया गया था। चर्चा के बाद बुधवार को विधायक केदार सिंह रावत ने इस पंचायत राज अधिनियम 2016 में संसोधन प्रस्ताव को पेश किया जिसे विधानसभा में एक मत से पास कर दिया गया है। अब इसे राज्यपाल के समक्ष पेश किया जाना बाकी है।
दरअसल उत्तराखंड सरकार ने पंचायत राज अधिनियम 2016 में संशोधन करके एक विधेयक पारित किया था जिसमे आने वाले पंचायत चुनाव में हिस्सा लेने के लिए कुछ शर्ते लागू की गयी है, जो कि राजनीति के स्तर एवं परिवार नियोजन दोनों पर ही सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
इस बिल के अनुसार जिस उम्मीदवार की दो से अधिक संतान होगी वह पंचायत का चुनाव नहीं लड़ पायेगा। अगर चुनाव लड़ने के बाद उनकी तीसरी संतान होती है तो भी उसकी सदस्यता स्वतः ही निरस्त हो जायेगी। पंचायत के चुनाव को लड़ने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 10 वी पास होना अनिवार्य है वही SC ST के उम्मीदवार को कम से कम 8 वी पास होना अनिवार्य है। महिलाओं को भी 5 वी पास होना ज़रूरी है। साथ ही अगर किसी पंचायत का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के पास दो पद है तो उन्हें किसी एक पद से त्यागपत्र देना होगा।
इस वर्ष के अंत में उत्तराखंड में पंचायत चुनाव होने वाले है इसलिए इस विधेयक को पेश किया गया है और चुनाव से पहले इसे राज्यपाल से स्वीकृति मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है। इस पूरे मुद्दे पर उत्तराखंड के संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि “विधेयक का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना और उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को निर्धारित करना है।”