प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिश्केक में हो रही शंघाई सहयोग संगठन के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में आतंकवाद पर निशाना साधते हुए कहा कि विश्व में मौजूद आतंक को प्रायोजित करने वाले तथा उन्हें आर्थिक मदद देने वाले देशों को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ विश्व स्तरीय सम्मेलन का भी आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा किया। आतंक के खिलाफ लड़ाई में एससीओ की भावना और विचारों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आतंक-मुक्त समाज बनाने के लिए तत्पर है। उन्होंने आतंक के खिलाफ लड़ाई में सभी देशों के एक साथ आने की अपील की और कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए दुनिया की सभी मानवतावादी ताक़तों को एक होना पड़ेगा। किर्गिस्तान के बिश्केक में हुए इस सम्मेलन में राष्ट्राध्यक्षों के संबोधन के बाद सम्मेलन से जुड़े दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किये गए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के अनुसार सम्मेलन से पहले मोदी किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव से मिले। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
ग़ौरतलब है कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 1996 में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग के लिए की गई थी। इसके गठन के समय इसमें केवल 5 सदस्य देश थे, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 8 हो गई है। 9 जून 2017 को अस्ताना कजाकिस्तान में हुए इसके सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को सदस्य देशों का दर्जा दिया गया था।
एससीओ एक बड़ा मंच है जिस पर भारत के प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया है। सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी ने आतंक का मुद्दा उठाया और आतंकवाद पर पाकिस्तान के द्वारा उचित कार्यवाही नही करने का ज़िक्र किया।