कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल हरियाणा के एक हिन्दू परिवार में हुआ था। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थी। कल्पना चावला को बचपन से ही जहाजों के प्रति लगाव था और वह करनाल के फ्लाइंग क्लब में जाती रहती थी। कल्पना चावला ने USA स्थित टेक्सस विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की थी कल्पना चावला ने 1988 में अमेरिका की अंतरिक्ष शोध संस्था नासा में काम करना शुरू किया था। कल्पना चावला अंतरिक्ष पर जाने वाली पहली भारतीय महिला और दूसरी भारतीय अंतरिक्ष यात्री थी इससे पहले भारतीय राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जा चुके थे।
कल्पना चावला ने अमेरिकी फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर जियां पिअरे हैरिसन के साथ शादी की थी। 1 फरवरी 2003 को उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा उनकी आख़िरी यात्रा साबित हुई। कल्पना चावला का कहना था कि मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ हर पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए अंतरिक्ष के लिए ही मरूंगी।
आखिर में उनकी यही बात सत्य भी सिद्ध हुई और उन्होंने अपने प्राण अंतरिक्ष के लिए ही न्योछावर किए। अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान कल्पना चावला की उम्र महज 41 वर्ष थी। इतनी कम उम्र में ही उन्होंने भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया था।
कल्पना चावला अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान 16 दिन अंतरिक्ष में बिताकर धरती पर लौट रहीं थी लेकिन धरती से सिर्फ 16 मिनट की दूरी पर जब यान था तभी वह एक हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में कल्पना के साथ अन्य 6 लोगो की भी मृत्यु हुई थी। भारत ने इस कीमती हीरे को उस दिन खो दिया।
1 फरवरी 2003 भारत के लिए बहुत ही काला दिन साबित हुआ जिस दिन उसके इस चमकते हुए सितारे की चमक आसमान में ही कहीं खो गयी। पर कल्पना आज भी हम भारतीयों के दिलो में जीवित है। भारत का हर नागरिक अपनी बेटियों को कल्पना चावला की तरह ही बनाने की ख्वाहिश रखता है।
कल्पना चावला एक मध्यम वर्ग परिवार से थी इसके बावजूद उन्होंने देश की शान को एक उच्च स्तर तक लाने में कोई कमी नही रखी। कल्पना चावला आज की हर लड़कियों के लिए एक आदर्श है। कल्पना चावला ने साबित कर दिया की आप अपनी मेहनत और जज्बे से अपने सपनों के मुकाम को ज़रुर हासिल कर सकते है और दुनिया में कुछ भी कर दिखाना मुश्किल नही। मेहनत से हर मंजिल को पाया जा सकता है। ये बात हर लड़की को कल्पना चावला से सीखनी चाहिए। कल्पना को न सिर्फ भारत और अमेरिका ने बल्कि पूरी दुनिया से सम्मानित किया गया। कल्पना ने भारत का नाम रोशन कर दिया। “भारत की इस बहादुर बेटी को सलाम है!”