राजनीति में फ़िल्मी सितारों का सफर, किसी ने पाई कामयाबी तो कोई रह गया फिसड्डी

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Punctured Satire
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राजनीति में फ़िल्मी सितारों का सफर, किसी ने पाई कामयाबी तो कोई रह गया फिसड्डी

पूरे देश में आजकल हर तरफ चुनावी माहौल देखने को मिल रहा है। इस चुनाव में नेताओं के साथ साथ फिल्म के कई कलाकार भी राजनीति में उतर गए है। कुछ फ़िल्मी कलाकारों ने फिल्म जगत में अच्छा नाम कमाया है तो कुछ अपनी जगह नहीं बना पाए। कई फ़िल्मी सितारे भारतीय राजनीति में भी अपनी किस्मत को आजमा चुके है। इनमें से कुछ सितारे जहाँ राजनीति में हिट रहे वहीं बहुत सारे सितारे बिलकुल फिसड्डी साबित हुए।

चलिए आपको कुछ फ़िल्मी हस्तियों के बारे में बताते है की उनका सफर राजनीति में किस तरह का था।

दिसंबर 1984 में हुए चुनावों के लिए राजीव गांधी ने सुनील दत्त और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को चुनाव लड़ने को कहा। 1984 में हुए चुनावों में सुनील दत्त जीत गए। वो जीवन पर्यन्त कांग्रेस में ही रहे।

1984 में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने भी चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। परन्तु बोफ़ोर्स घोटाले में नाम आने पर उन्होंने राजनीति को त्याग दिया।

इसके बाद 1991 का चुनाव भी कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। तब राजीव गांधी ने पहले सुपरस्टार के रूप में मशहूर राजेश खन्ना को चुनाव मैदान में उतारा जो की अडवाणी के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे थे। राजेश खन्ना 1991 के चुनाव में आडवाणी से केवल 1,589 वोटों से हारे गए थे।

इसके बाद 1992 में उपचुनाव में राजेश खन्ना फिर से नई दिल्ली से चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने बीजेपी में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा को चुनाव में हराया।

साल 1998 में विनोद खन्ना ने भी राजनीति में कदम रखा और उन्होंने भाजपा की टिकट पर गुरदासपुर से चुनाव लड़ा। जीवन भर वे राजनीति में रहे और सफलता प्राप्त की।

इसके बाद 2014 ले लोकसभा चुनावों में हेमा मालिनी भी चुनावों में शामिल हुई और मथुरा से चुनाव लड़ कर जीत हासिल की।

महिला राजनेताओं में अभिनेत्री जया प्रदा भी राजनीति में शामिल हैं। उन्होंने 1994 में तेलुगू देशम पार्टी को जॉइन किया। जया प्रदा ने उत्तर प्रदेश के रामपुर से 2004 और 2009 में लगातार दो बार जीत हासिल की।  2019 में जया भाजपा में आ गयी और वे रामपुर से चुनाव लड़ रही हैं।

अभिनेता राज बब्बर भी राजनीति में लम्बी रेस का घोडा साबित हुए उन्होंने पहले समजवादी पार्टी का दामन धामा और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए।

पृथ्वीराज कपूर ने भी राजनीति में अपना भाग्य अपनाया था। इनके अलावा नेहरू के कहने पर दिलीप कुमार ने भी चुनाव में प्रचार प्रसार किया। ये सारे फ़िल्मी हस्ती राजनीति में सफल रहें। लेकिन कुछ ऐसी भी लोग रहें जिन्हे राजनीति फली नहीं। इनमे अभिनेता धर्मेंद्र का राजनीति करियर अच्छा नहीं चल सका, इसके बाद गोविंदा भी चुनाव मैदान में आये पर उन्हें एक बार जीत मिली तो दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा।

2019 के चुनावी मैदान में भी कई फ़िल्मी सितारे मैदान में उतर गए है। इनमें उर्मिला मातोंडकर, सनी देओल जैसे अभिनेता प्रमुख है। अब देखना है की लोग फ़िल्मी परदे के बाद उन्हें राजनीति में कितना पसंद करते है।

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