भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की दिशा में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मोदी की एक ऐतिहासिक पहल है

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Prabhat Sharma
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भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की दिशा में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मोदी की एक ऐतिहासिक पहल है

योग प्राचीन भारत की मानवता को एक बहुमूल्य देन है। भारत के ऋषि मुनियों ने बड़े तप से शरीर और मन के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए योग की विधियां विकसित की थीं। आज पूरे विश्व में लोग योग से जुड़ रहे हैं। योग न केवल अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है बल्कि इससे मनुष्य के संपूर्ण विकास के रास्ते भी खुल जाते हैं। भारत में योग प्राचीन काल से ही विद्यमान है। योग और इसकी विभिन्न विधियों से असाध्य से असाध्य रोगों पर भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसका नियमित अभ्यास करने से आपकी देह ताउम्र सेहतमंद बनी रहती है।

2015 से हर वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को विश्व योग दिवस मनाए जाने की पेशकश की थी। श्री मोदी ने योग के महत्व को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था, "योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है, विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आएं एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को बढ़ावा लेने की दिशा में काम करते हैं।" उनकी इस अपील के कुछ समय बाद ही 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने को मंज़ूरी दे दी थी।

योग के महत्व के बारे में श्री श्री रविशंकर ने कहा है कि योग आपको एक बच्चे की तरह बना देता है। उन्होंने कहा ‘जहाँ योग और वेदांत है वहां कोई अशुद्धता, अज्ञान, कमी, दुःख या अन्याय नही हो सकता।’ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप के मनाए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि ‘इस प्रयास से योग अब दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचेगा और लोग इसका लाभ उठा पाएंगे।’

प्रतिदिन योग का अभ्यास करने के अनगिनत लाभ मिलते हैं। यदि आप प्रतिदिन अनुलोम विलोम करते हैं तो इससे आपको शरीर के बहुत सारे विकारों को दूर करने में मदद मिलेगी। इससे गठिया, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल और साइनस जैसे समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से भी संपूर्ण शरीर को लाभ मिलता है। सूर्य नमस्कार से शरीर के सभी अंगों को लाभ मिलता है, इससे आलस्य दूर होता है और दिन भर मन में उत्साह बना रहता है।

योग में कई तरह के आसान और मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है जो किसी खास मकसद के लिए विकसित की गई है। यदि आप किसी रोग से पीड़ित हैं तो किसी प्रशिक्षक की उपस्थिति में योग का अभ्यास करें। आपको जल्द ही सकारात्मक परिमाण प्राप्त होने लगेगा।

योग का अभ्यास करने के लिए सुबह का समय सबसे उत्तम होता है। इस समय नित्य कर्मों से निपटने के बाद एक खुले और हवादार स्थान पर दरी या चटाई लगाकर बैठ जाएँ। योग का अभ्यास करते समय साफ सुथरे और हल्के कपड़े पहने। योग करते समय पेट खाली रखें।

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