कुछ सालों पहले बॉलीवुड में रानी मुखर्जी की फिल्म ‘दिल बोले हड़िप्पा’ आई थी। रानी को लड़की होने की वजह से क्रिकेट की ट्रेनिंग नहीं मिल पाती, तो वो वीर प्रताप सिंह यानी लड़का बनकर क्रिकेट टीम में शामिल हो जाती है।ऐसी ही कुछ कहानी भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ी शैफाली वर्मा की है जिन्होंने क्रिकेट की ट्रेनिंग लड़की नहीं बल्‍कि लड़का बनाकर ली थी।

शैफाली वर्मा हरियाणा के रोहतक में रहती है। बचपन से ही उन्हें क्रिकेटर बनाना था। शैफाली के पिता संजीव रोहतक में ज्‍वेलरी की शॉप चलाते हैं। मीडिया से बातचीत करते हुए संजीव ने बताया कोई मेरी बेटी को लेना नहीं चाहता था क्योंकि रोहतक में लड़कियों के लिए एक भी अकैडमी नहीं थी। मैंने उनसे भीख मांगी कि उसे ऐडमिशन दे दें, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। मैंने कई क्रिकेट अकैडमी का दरवाज़ा खटखटाया, लेकिन हर जगह रिजेक्शन मिला।

संजीव ने आगे बताया फिर मैंने अपनी बेटी के बाल कटवा कर उसे एक अकैडमी ले गया और लड़के की तरह उसका ऐडमिशन कराया। लड़कों के ख़िलाफ़ खेलना आसान नहीं था क्योंकि अक्सर उसकी हेलमेट में चोट लगती थी। पड़ोसी और रिश्तेदार मुझ कहते थे कि क्रिकेट में लड़कियों का कोई भविष्‍य नहीं है। लेकिन उसके बाद जब शैफाली महिला आईपीएल में खेलीं और टीवी पर दिखने लगी तो सबकी ज़ुबान बंद हो गई।

हाल ही में शैफाली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मंगलवार को हुए T-20 मैच में शानदार बल्‍लेबाजी का प्रदर्शन किया। उन्‍होंने 46 रन की कमाल की पारी खेली। शैफाली अपना पचासा तो पूरा नहीं कर पाईं, लेकिन 46 रन की धमाकेदार पारी से उन्‍होंने सबका दिल जीत लिया।