साल 1955 से लागू नागरिकता अधिनियम के प्रावधानों में बदलाव के लिए आज लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल को पेश किया गया है। आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून बिल को पेश किया। इस बिल का विपक्षी दलों की तरफ से विरोध किया जा रहा है। बहरहाल विपक्ष के तमाम विरोधों के बाद भी मोदी सरकार ने इसपर आगे बढ़ने की ठानी है। इस बिल का विरोध कांग्रेस, टीएमसी समेत कई अहम विपक्षी पार्टियों ने किया है।
Union Home Minister Amit Shah tables #CitizenshipAmendmentBill in Lok Sabha pic.twitter.com/dcqRT58csk
— ANI (@ANI) December 9, 2019
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जैसे ही लोकसभा में इस नागरिकता बिल को पेश किया वैसे ही इसपर अधीर रंजन चौधरी ने विरोध जताया। अधीर रंजन चौधरी जिसपर अमित शाह ने जवाब दिया. अमित शाह ने अधीर रंजन को जवाब देते हुए कहा कि ये बिल कहीं पर भी इस देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है।
Lok Sabha: Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury on #CitizenshipAmendmentBill," It nothing but a targeted legislation over minority people of our country". Union Minister Amit Shah says, "This Bill is not even .001% against minorities in the country". pic.twitter.com/vMBwDz5dVk
— ANI (@ANI) December 9, 2019
कांग्रेस का कहना है कि इस बिल का पेश होना ही संविधान के खिलाफ है। लेकिन अमित शाह ने कहा कि जब बिल पर चर्चा होगी तब वह जवाब देंगे। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस बिल के पेश होने से संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन किया गया है, लेकिन अमित शाह ने कहा कि इस बिल के आने से अल्पसंख्यकों पर कोई असर नहीं होगा।
Union Home Minister Amit Shah in Lok Sabha, to Opposition on #CitizenshipAmendmentBill2019 : I will answer all questions on the Bill. Tab House se walkout mat karna. https://t.co/x6fZwdN3Li pic.twitter.com/qYi72NonZl
— ANI (@ANI) December 9, 2019
क्या है इस नागरिकता संशोधन बिल में?
इस बिल के संसद से पास होने के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेज़ों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता आसान हो जाएगा परन्तु अगर ये नागरिक मुस्लिम होंगे तो उनके लिए नागरिकता हासिल करना मुश्किल ही रहेगा।
इस नागरिकता संसोधन बिल के पास होने के बाद सभी गैरमुस्लिम धर्म के लोगों अर्थात हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल देश में रहना जरूरी नहीं होगा जो पहले होता था। इस नए बिल के आने के बाद सिर्फ 6 साल की अवधि के बाद गैरमुस्लिओं को नागरिकता दी जा सकेगी।