लोकसभा चुनाव ख़त्म होने वाले है और 23 मई को परिणाम आने वाला है। लेकिन परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस अपनी हार मान रही है। उसके पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं दिख रहा है। बहुमत के लिए कांग्रेस कोशिशों में लगी हुई है परन्तु उसकी कोशिशें नाकाम हो रही है।
इन्हीं कोशिशों में 15 मई को वरिष्ठ काँग्रेसी नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद पटना पहुंचे। उन्होंने कहा कि ‘नीतिश कुमार कुछ मजबूरी की वजह से एनडीए में गए।’ उन्होंने आगे कहा कि नीतिश कुमार जैसे लोग भी कुछ और हैं, जिनकी विचारधारा बीजेपी से बिलकुल भी नहीं मिलती है। गुलाम ने कहा कि, 'कुछ लोग या सत्ता पाने या फिर किसी मजबूरी की वजह से बीजेपी के साथ हैं। हो सकता है इन दोनों कारणों में से कोई एक कारण हो जो नीतीश कुमार जैसे नेताओं को बीजेपी से जोड़े रखा है। यदि दूसरी पार्टियों द्वारा भी इन ज़रूरतों को पूरा करती है तो उन पार्टियों को स्थान परिवर्तन में परेशानी नहीं आएगी।’
इस पर भी कांग्रेस नेता एक तीर से दो निशाना साधने में लगे है। एक तो वह बहुमत पाने की कोशिश कर रहे है। साथ ही वह एनडीए के पुराने सहयोगी में फुट डालकर पीएम मोदी के खेमे में सेंध लगाने का प्रयास कर रहे है। परन्तु कांग्रेस के मंसूबो पर पानी फिर गया है।
जेडीयू के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद के.सी.त्यागी ने उन्हें अच्छा जवाब दिया और कहा कि एनडीए का सबसे भरोसेमंद साथी जदयू है साथ ही पीएम मोदी हमारे सारथी हैं और युद्ध के मध्य में सारथी नहीं बदलते हैं यह बात लोगों को समझना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि गुलाम नबी आज़ाद कोई जदयू के प्रवक्ता नहीं हैं। उनके द्वारा इस तरह की बातें करता गलत है। उन्होंने यह दावा भी किया कि एक बार फिर केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में ही एनडीए की नई सरकार बनेगी और इसमें जदयू की भी हिस्सेदारी रहेगी।