जानें ईसाई होने के बावजूद जॉर्ज फर्नांडिस की अंत्येष्टि क्यों होगी हिंदू रीति-रिवाज से?

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Prabhat Sharma
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जानें ईसाई होने के बावजूद जॉर्ज फर्नांडिस की अंत्येष्टि क्यों होगी हिंदू रीति-रिवाज से?

प्रख्यात समाजवादी नेता और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस 29 जनवरी के दिन दुनिया को अलविदा कह गये। वह लम्बे समय से अल्जाइमर्स की समस्या से पीड़ित थे जिसके चलते मंगलवार को 88 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। आपातकाल के दौरान अलग अलग मंचों पर अपना विरोध जताने के बाद जब आपातकाल खत्म हुआ तब 1977 में उन्हें उद्योग मंत्री बनाया गया था। अटल सरकार के समय में 1998-1999 में उन्होंने रक्षा मंत्री का पद सम्भाला।

जॉर्ज फर्नांडीस का जन्‍म 3 जून 1930 को मैंगलोर के मैंग्‍लोरिन-कैथोलिक परिवार में हुआ था। फर्नांडीस की माँ जॉर्ज पंचम की बहुत बड़ी प्रशंसक थी इसलिए उनकी माँ ने उनका नाम जॉर्ज फर्नांडीस रखा।

जॉर्ज भारतीय ट्रेड यूनियन के नेता थे। वे सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतीक थे। आपातकाल और उसके बाद के समय में जॉर्ज लोकतंत्र के योद्धा बने रहे। वह एक अच्छे राजनेता, सक्षम प्रशासक और महान सांसद थे। जॉर्ज फर्नांडिस के रक्षा मंत्री रहते ही देश को परमाणु शक्ति प्राप्त हुई थी और मई 1998 में राजस्थान के पोकरण में जब देश में परमाणु परीक्षण किए। साथ ही करगिल युद्ध भी इन्हीं के कार्यकाल में हुआ। वह अगस्त 2009 से जुलाई 2010 तक राज्यसभा के सांसद रहे थे।

भारतीय राजनेता एवं समता पार्टी की भूतपूर्व अध्यक्ष जया जेटली से जॉर्ज फर्नांडिस का एक बेहद ख़ास रिश्ता था। जया जेटली ने बताया की फर्नांडिस ने पहले हिन्दू रीती रिवाज से अंत्येष्टि की बात कही थी और बाद में दफनाने की मंशा जताई थी इसलिए उनकी अंत्येष्टि हिंदू रीति-रिवाज से की जाएगी और उनकी अस्थियों व राख को दफनाया जाएगा। उनकी अंतिम इच्छा अनुसार हिन्दू और इसाई दोनों ही रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा। फर्नांडिस के निधन पर सभी बड़े और दिग्गज नेताओं ने शोक प्रकट किया है। जॉर्ज फर्नांडिस के निधन पर पीएम मोदी ने शोक प्रकट करते हुए कहा है की जॉर्ज साहब ने भारत के राजनीतिक नेतृत्व का सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधित्व किया वे स्पष्टवादी, निडर, बेबाक और दूरदर्शी थे, उन्होंने हमारे देश के लिए अहम योगदान दिया है।

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