प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में पहली बार सरकार बनाने से पहले ही कह दिया था कि “मैं न खाऊंगा और न ही खाने दूँगा” इसी सिद्धांत पर उन्होंने अपना प्रथम कार्यकाल पूर्ण किया और अब अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने ऐसे लोग रखे जो उनकी इस भावना का मान रखते है। पीएम मोदी ने भाजपा शासित राज्य सरकार में मुख्यमंत्री भी ऐसे नियुक्त किये है जो उनकी न खाऊंगा और न खाने दूंगा के सिद्धांत पर चलते है। अभी हाल ही में पीएम मोदी ने आयकर विभाग के 12 बड़े अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्त दी है। ये सभी अधिकारी भ्रष्ट थे।
ऐसा ही कुछ उत्तरप्रदेश में भी देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस तरह के कदम उठाये है। गुरुवार को राज्य सचिवालय की प्रशासनिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा “भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सरकार और सिस्टम में कोई स्थान नहीं है और उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी जानी चाहिए।” सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को एक सूची तैयार करने का आदेश दिया है जिसमे लम्बे समय से लंबित मामले और संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त कर्मचारियों व अधिकारियों के नाम शामिल किया जाए।
इसके साथ सीएम योगी आदित्यनाथ ने अदालती आदेशों से संबंधित मामलों को योग्यता के आधार पर जल्द ही कार्यवाही कर निपटाने के आदेश दिए। वही ‘आउटसोर्सिंग’ के जरिए काम पर रखे गए कर्मचारियों के वेतन को भी तुरंत दिए जाने के निर्देश दिए।
ई ऑफिस प्रणाली के विषय पर सीएम ने संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली तथा हर अधिकारियों को कार्यालय से जोड़ने में तेजी लाने के भी निर्देश दिए। इसके साथ ही सचिवालय के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को संरक्षित रखे जाने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में जितने भी भ्रष्ट अधिकारी एवं कर्मचारी है उनकी पदोन्नति रोकी जाए पर इन सब पर उचित कार्यवाही की जाए इसके पश्चात इन्हे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी जाए। सीएम योगी ने कहा कि जल्द ही कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली शुरू की जाएगी और सुरक्षा के हिसाब से किसी भी अवांछित व्यक्ति को अधिकारियों की अनुमति के बिना किसी भी प्रशासनिक कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी साथ ही अनाधिकृत व्यक्तियों के लिए मोबाइल फोन पर भी प्रतिबंध लगाने की बात की।