अमेरिका के मैककॉर्ड स्थित ज्वाइंट बेस लेविस में भारत और अमेरिकी सेना के मध्य 19वां संयुक्त युद्धाभ्यास चल रहा है। दोनों देशों के सैनिक इस युद्धाभ्यास के दौरान एक गाने पर झूमते नजर आए। यह गाना था, 'बदलूराम का बदन जमीन के नीचे रहता है।' बता दे कि यह गाना भारतीय सेना के असम रेजिमेंट का मार्चिंग सॉन्ग है।
आपको बता दें कि बदलूराम का बदन… गाना जितना सुनने में अच्छा लगता है, उतनी ही अच्छी इसकी कहानी है। यह गाना द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानी सेना के साथ संघर्ष करते हुए शहीद हुए राइफलमैन बदलूराम को समर्पित है। बदलूराम की मृत्यु के बाद उनका क्वार्टर मास्टर उनका नाम हटाना भूल गया साथ ही सेना को इसकी जानकारी भी नहीं दे सका। इसके कारण उनके नाम से राशन लगातार आता रहा।
यही अतिरिक्त राशन बाद में उनकी रेजिमेंट के लिए वरदान सिद्ध हुआ। जापानी सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय जवानों की सप्लाइ काट दी। ऐसी स्थिति में भारतीय बटैलियन ने बदलूराम के नाम से आए राशन से काम चलाया जो कि पूरे युद्ध के लिए निर्णायक साबित हुआ। भारतीय सेना ने बाद में सप्लाई लाइन बहाल की। शहीद होने के पश्चात् भी अपने बटैलियन की सहायता करने वाले बदलूराम की याद में यह गीत निर्मित किया गया।
पिछले 70 साल से यह गीत गयी जा रही है। असम रेजिमेंट के शिलांग स्थित केंद्र में कसम परेड के बाद नए रंगरूट 'बदलूराम का बदन जमीन के नीचे रहता है' गाना गाते हैं और डांस करते हैं। गाने के बोल कुछ इस तरह हैं।
एक खूबसूरत लड़की थी...
उसको देख के राइफलमैन...
चिंदी खींचना भूल गया...
हवलदार मेजर देख लिया...
उसको पिट्टू लगाया...
बदलूराम एक सिपाही था...
जापान वॉर में मर गया...
क्वॉर्टर मास्टर स्मार्ट था...
उसने राशन निकाला...
बदलूराम का बदन जमीन के नीच रह गया...
तो हमें उसका राशन मिलता है...
शाबाश...हल्लेलुजाह...
तो हमें उसका राशन मिलता है…