योनोमामी जनजाति का अनोखा इतिहास, जीवन शैली और संस्कृति

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Nikhil Talwaniya
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योनोमामी जनजाति का अनोखा इतिहास, जीवन शैली और संस्कृति

आज मनुष्य ने अपने जीवन को जीने के लिए सभी सुख सुविधाओं का उपयोग करता है। वही विश्व में कुछ जनजाति ऐसी भी है जो दुनिया से भी अनजान है इनके रहने का तरीका इनके आसपास के वातावरण के अनुसार बिलकुल सटीक बैठता है।

ऐसा ही एक आदिवासी समूह जो अमेजन के घने वनो में पाया गया है। जिसका रहन सहन बाकी समुदाय से विभिन्न है। ये बाहर की दुनिया से संपर्क नहीं रखना चाहते है।

इस समुदाय का नाम यानोमामी है, ये अमेजन की सबसे बड़ी जनजातियो में से एक है। इस जनजाति में जनगणना के अनुसार अब लगभग 32,000 से 35,000 लोग है। कुछ दस्तावेजों में उल्लेख किया है कि इनका निवास परिमा पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। इस समुदाय के लिए लेखकों ने Guaica, Yanoama, Yanomame, Guajaribo, Guaharibo, और Xiriana जैसे नामों का उपयोग भी किया है।

यानोमामी समुदाय में चार उपसमूह है सानुमा, निनाम, यानोमा, और यानम। इस समुदाय का उल्लेख कुछ लेखकों ने सबसे प्राचीन पत्थर युग जनजातियों के रूप में किया है।

यानोमामी को 'पत्थर-आयु-जनजाति' के रूप में वर्णित किया गया है, पर इस समुदाय के लोगो ने कभी पत्थर के हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है। ये हमेशा लकड़ी के तीर कमान का उपयोग करते थे। यानोमामी जनजाति के लोग किसी के नेतृत्व को नहीं मानते थे, सिर्फ एक मत होकर निर्णय लेते है। इन्हे वे एक साथ वर्गीकृत हैं, क्योंकि उनके पास रक्त संबंध और स्नेह है। वे अपने रिश्तो और समुदाय के अंदर ही विवाह करना पसंद करते है। यानोमामी समुदाय के लोग अपने दैनिक जीवन का कार्य मात्र 5 घंटो में ख़त्म कर देते है, अपना बाकी समय वो सामाजिक गतिविधि जैसे सजावटी टोकरी बनाना, एक दूसरे का चित्रित करने में बिताते है।

यानोमामी का इतिहास

1759 में एक स्पेनिश अभियान के अंतर्गत Apolinar Diez de la Fuente ने पद्मो नदी के आसपास यानोमामी समुदाय के लोगो को देखा था।

यानोमामी और उनकी भूमि
यानोमामी समुदाय अमेजन के वर्षा वनो का एक शिकारी कृषिविदो का समुदाय है। ये ब्राजील और वेनेजुएला के दोनों किनारों पर स्थित 192,200 किमी से अधिक क्षेत्र में रहते है। इस पुरे क्षेत्र में यानोमामी समुदाय के लगभग 32,000 लोगों रहते है।

इस भूमि पर सोने की खदान पायी गयी थी इसलिए 1980 में ब्राजील के 40,000 से अधिक सोने के व्यापारी ने इस भूमि पर आक्रमण किया था। व्यापारी ने यानोमामी समुदाय के गावों को नष्ट कर दिया था। बाद में Kopenawa ने एक अभियान चलाया और इस पुरे क्षेत्र को यानोमामी पार्क के रूप में घोषित कर सोने के व्यापारियों को उस क्षेत्र से निष्काषित कर दिया था। विभाजन के बाद सोने के व्यापारी उस क्षेत्र में वापस लोटे और वहाँ के Haximu गांव पर आक्रमण कर 15 यानोमामी लोगो और बच्चो की हत्या कर दी। अब उनका क्षेत्र आकर में काम होगया था साथ ही आज भी उनके पास उनकी जमीन पर उचित अधिकार नहीं है।

यानोमामी का जीवन शैली और आहार

यानोमामी समुदाय के लोग एक ही छत के नीचे रहते हैं। जिसे shabono कहा जाता है, इसका आकर अंडाकार होता है। बीच में लगभग 120 गज का खुला मैदान होता है और आसपास वो छत बनाकर साथ में रहते है। घर जंगलो में उपलब्ध लकडिया पेड़ की पत्तियाँ जैसे उपलब्ध साधनो से मिलकर बनाया जाता है। shabono कीट उपद्रव, बारिश, और हवाओं के लिए अतिसंवेदनशील होता है। यह हर 4 से 5 सालो में नया बनाया जाता है।

यानोमामी जनजाति के लोग मछुआरे, शिकारी, और खेती के लिए जाने जाते है। पुरुष वन और अपने क्षेत्र की सफाई करते है। वही महिलाये खाना पकाने का काम करती है। यानोमामी के आहार में नमक की कमी होती है इसलिए इनका रक्तचाप कम होता है।

यानोमामी लोग एक उत्सव भी बनाते है जिसमे वह आस पास के सभी गाँवो को आमंत्रित करते है। इस त्यौहार के माध्यम से वह पड़ोसियों के साथ अच्छे और स्वस्थ संबंध बनाये रखने में मदद करता है। वो सब लोग इकठ्ठा होकर भोजन करते है, महिलाएं नृत्य करती है एवं गीत गाती है।

यानोमामी समुदाय की महिलाएं गृह कार्य व बगीचे का कार्य करती है। वे अपनी टोकरी को जड़, छाल से बनाती है और इसे onoto नामक बेरी व चारकोल के रंग से सजाती है। कटाई के समय वो इस टोकरी के माध्यम से 30 से 35 किलो की फसल को अपनी पीठ पर उठा लेती है।

यानोमामी समुदाय में बहुत सारी प्रथाएं होती है जिसमे से एक है मृत मनुष्य की हड्डियों का उपभोग करना। इस प्रथा में यानोमामी समुदाय के लोग मृत व्यक्ति को पत्तियों में लपेट कर shabono से दूर रखा जाता है। कीड़ो व बैक्टेरिया द्वारा मृत मनुष्य का उपभोग हो जाने के बाद उसकी हड्डियों का अंतिम संस्कार किया जाता है। अंत में उसकी राख को केले के सुप में मिलाकर मृत मनुष्य के परिवार के साथ पूरा समुदाय एक साथ उपभोग करता है।

यानोमामी समुदाय को जो जंगल प्रदान करता है वह उन्ही का सेवन व उपयोग करता है। ये जंगली सूअर, हिरन, बंदरो, जगुआर, जंगली शहद, मीठे आलू, palm fruits, आदि का सेवन करते है।

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