इंद्रधनुष क्या है ?
बरसात के मौसम में या फिर कभी कभी सूर्यास्त के कुछ समय पहले आपने आसमान में सतरंगी आकृति देखी होगी, इस आकृति में लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, या बैगनी आदि रंग की एक रंगारंग एक वृत्तीय आकृति बनती है जिसे इंद्रधनुष के नाम से जाना जाता है।
इंद्रधनुष के बनने का कारण भी दिलचस्प होता है। दरअसल सूर्य से पृथ्वी पर आने वाला प्रकाश हमें श्वेत रंग का दिखाई देता है पर वास्तव में वह 7 रंगो से मिलकर बना होता है। यह श्वेत प्रकाश जब बारिश और नमी के बीच परिवर्तित और अपरिवर्तित होती है तो किसी प्रिज्म की तरह कार्य करती है। इसी कारण से हमे प्रकाश के सात रंग खुले आसमान में दिखाई देता है। इसे हम Rainbow या इंद्रधनुष भी कहते है।
वैज्ञानिक तौर पर जब प्रकाश का परावर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन, तथा अपवर्तन होता है तो उसके द्वारा जो वर्ण विक्षेपण होता है उसी को इंद्रधनुष कहते है। बारिश के समय संध्याकाल में पूर्व दिशा की तरफ वही प्रातः काल में पश्चिम दिशा की तरफ इंद्रधनुष दिखाई देता है
दो प्रकार के इंद्रधनुष होते है। पहला प्राथमिक इंद्रधनुष और दूसरा द्वितीयक इंद्रधनुष ।
प्राथमिक इंद्रधनुष :-
जब बारिश की बूंदो पर सूर्य के प्रकाश का दो बार अपवर्तन और एक बार परावर्तन होता है तो लाल रंग बाहर की तरफ और बैंगनी रंग अंदर की तरफ होता है। प्राथमिक इंद्रधनुष में बैंगनी किरण आँखों पर 40°8’ का कोण बनाती है वही लाल रंग 42°8‘ का कोण बनाती है।
द्वितीयक इंद्रधनुष :-
जब बारिश की बूंदो पर सूर्य के प्रकाश का दो बार अपवर्तन और दो बार परावर्तन होता है तो बैंगनी रंग बाहर की तरफ और लाल रंग अंदर की तरफ होता है। द्वितीयक इंद्रधनुष में बैंगनी रंग की किरण आँखों में 54°52‘ तथा लाल रंग 50°8’ का कोण बनाती है।
- इंद्रधनुष के रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला था बैगनी इस क्रम में होते है।
- 1666 में आइजेक न्यूटन के द्वारा इंद्रधनुष में बैगनी रंग को जोड़ा गया था। इस समय से पहले तक इंद्रधनुष में सिर्फ 5 रंग ही माने जाते थे। आज भी चीन के लोग इंद्रधनुष में 5 रंग ही मानते है।
- इंद्रधनुष के बनने का कारण सर्वप्रथम 1637 में रने डेकार्ट ने बताया था और उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की थी कि इंद्रधनुष बारिश की बुँदे और सूर्य के प्रकाश के आपस में परिवर्तित और अपरिवर्तित होने के कारण बनते हैं।
- सूर्य जब आपकी पीठ की तरफ होगा तभी आप को इंद्रधनुष दिखाई देगा।
- 2 प्रकार के इंद्रधनुष और होते है जिन्हे देखना बहुत मुश्किल है, आप इन्हे दुर्लभ भी कह सकते है। ये इंद्रधनुष चन्द्रमा और कोहरे की रोशनी से बनते है।
- चन्द्रमा की रोशनी से बनने वाले इंद्रधनुष को Moonbow व कोहरे से बनने वाले इंद्रधनुष को Fogbow कहते है।
- हम एक साथ तीन या चार इंद्रधनुष भी देख सकते है। ये तब होता है जब सूर्य की रोशनी बारिश की बूंदो से कई बार टकराती है।
- ये भी एक तथ्य है कि आपको अगर एक साथ दो इंद्रधनुष दिखाई दे रहे है तो दूसरे का रंग क्रमांक पहले के विपरीत होगा।
- आप को यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि 2 इंसान कभी भी एक इंद्रधनुष नहीं देख सकते है। इसका कारण उन दोनों का अलग अलग स्थान पर खड़ा होना है। आपको यह आभास होता है कि आप एक ही इंद्रधनुष देख रहे हो पर वास्तव में वो अलग अलग होते है।
- बारिश की प्रत्येक बूँद अपना एक अलग इंद्रधनुष बनाती है।
- इंद्रधनुष सूर्य की अवस्था पर निर्भर करता है। जैसे अगर सूर्य ऊचाई पर है तो इंद्रधनुष नीचे की ओर होता है वही अगर सूर्य नीचे की ओर है तो इंद्रधनुष ऊपर की तरफ दिखाई देता है।
- इस पृथ्वी पर ऐसा कोई नहीं है जो इंद्रधनुष को स्पर्श कर सकता हो। इंद्रधनुष सूर्य और बारिश की बूंदो से निर्मित एक दृश्य के अलावा और कुछ नहीं है। अर्थात इंद्रधनुष को स्पर्श करना नामुमकिन है।
- पूरे सौरमंडल में दो ही ग्रह ऐसे है जहाँ इंद्रधनुष का बनना संभव है। इनमे अपनी पृथ्वी और शनि गृह के चन्द्रमा टाइटन ऐसे दो स्थान हैं जहाँ इंद्रधनुष बनता है।
- पृथ्वी पर बारिश की बूंदों और सूर्य के प्रकाश के कारण इंद्रधनुष बनता है वही टाइटन पर मीथेन की तरल अवस्था में मौजूदगी और सूर्य के प्रकाश के कारण इंद्रधनुष बनता है।
- 200 ईस्वी में अलेक्जेंडर ने इस बात की पुष्टि की थी दो इंद्रधनुष के दो रंगो के बीच जो Darkness होती है उसे बंधन (बांड) कहते है और इस बांड का नाम अलेक्जेंडर बांड पड़ गया।
- मनुष्य सभ्यता बहुत ही प्राचीन है और अलग अलग सभ्यता के अनुसार इसके बारे में अलग अलग मान्यता है। यूनानी सभ्यता के अनुसार इंद्रधनुष पृथ्वी से स्वर्ग तक जाने का एक पूल है। सब्रिया की प्राचीन सभ्यता के लोगो का मानना है कि इंद्रधनुष तूफान देवता का धनुष है।
- यदि हम पोलोराइज़्ड चश्मे से इंद्रधनुष को देखेंगे तो हमे इंद्रधनुष नहीं दिखाई देगा क्योंकि पोलोराइज़्ड चश्मे से प्रकाश एक ही जगह से आता है।
- Rainbow Nation के नाम से साउथ अफ्रीका को जाना जाता है क्योंकि वहां बहुत सारे इंद्रधनुष निकलते रहते हैं।
- इंग्लैंड के शेफील्ड शहर में 14 मार्च 1994 को अब तक का सबसे बड़ा इंद्रधनुष देखा गया था। इसे करीब 6 घंटो तक देखा गया था।