वर्ष 2012 में राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया रेप कांड ने पूरे देश की जनता को झकझोर कर रख दिया था। यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा चलाई गई पहल के कारण सामने आया था। इन्हे उच्च न्यायलय में सभी अपराधों में दोषी पाया गया था और सभी को मृत्यु की सजा सुनाई गई थी।
इस केस में एक नया मोड़ सामने आया है। मंडोली और तिहाड़ जेल में कैद तीनों दोषियों ने फांसी की सजा होने के बाद न तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और न ही राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है।
इन सभी दोषियों ने अपने जेल प्रशासन एवं सरकार को नोटिस में जवाब दाखिल करते हुए राष्ट्रपति को दया याचिका एवं सुप्रीम कोर्ट में जाने से इंकार कर दिया है। इस पूरे मामले की पुष्टि दोषियों के वकील डॉ अजय प्रकाश सिंह ने की है।
जानकारी दे दें कि जेल प्रशासन ने 29 अक्टूबर को सभी दोषियों को दया याचिका दाखिल करने के लिए नोटिस दिया था। प्रशासन ने दया याचिका के लिए नोटिस की प्राप्ति से लेकर 7 दिन का समय दिया था और अब यह समय खत्म चुका है। इस नोटिस पर दोषियों ने अपना जवाब भी तलब कर दिया है।
इस पूरे मामले पर दोषियों के वकील ने जेल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा "'कानून सबके लिए समान है। हमारे मुवक्किलों के लिए जब कई दिनों की एक साथ छुट्टियाँ पड़नी तय थीं, तभी 29 अक्टूबर को जेल प्रशासन और दिल्ली सरकार ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका भेजने के लिए सात दिन का नोटिस दे दिया, जो कि सरासर कानून का मज़ाक था। मेरे मुवक्किल पवन कुमार गुप्ता की उम्र को लेकर केस हाईकोर्ट में लंबित है। जबकि विनय और अक्षय को लेकर भी याचिकाएं डालने का हमारा हक बाकी है।"