नववर्ष 2020 की शुरुआत हो चुकी है। इस नववर्ष में भारत को जहाँ सीडीएस की नियुक्ति से एक नई ताकत मिली है तो दूसरी ओर पाकिस्तान के नए साल की शुरुआत दहशत के साथ हुई है। पाकिस्तान में जो दहशत है वो किसी और के कारण नहीं बल्कि भारत के कारण ही है। पाकिस्तान में जो डर है उसका जिक्र किसी और ने नहीं बल्कि गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति ने खुद किया है। गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति को यह डर भारतीय सीमा पर की गई भारतीय सैनिकों की मुस्तैदी से है।
गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति सरदार मसूद खान ने बताया कि "भारतीय सेना ने पाकिस्तान से लगती एलओसी पर घातक हथियार तैनात किए हैं। इसको पाकिस्तान के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा तैयार किया गया सबसे आक्रामक डिजाइन बताया गया है। भारतीय सरकार द्वारा तैयार किए गए इस डिजाइन से पाकिस्तान को सबसे अधिक खतरा है। सीमा पर इस तरह के हथियारों की तैनाती से पूरे क्षेत्र की शांति को खतरा है।"
राष्ट्रपति सरदार मसूद खान को जो डर सता रहा है वो कुछ कारणों की वजह से है। सबसे पहला डर उन्हें यह है कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने एक बयान दिया था जिसमे वे कह रहे है कि "हम गुलाम कश्मीर में किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए तैयार है बस सरकार के आदेश का इंतजार है।" यह बयान उन्होंने सितंबर में दिया था। दूसरा कारण वर्तमान सरकार द्वारा दिया गया बयान जिसमे गुलाम कश्मीर को भारत में शामिल करने की बात कही गई थी।
तीसरा कारण पाकिस्तान के साथ लगती हुई भारत की सीमा पर आकाश मिसाइल की तैनाती की घोषणा है। भारत द्वारा इसकी तैनाती 15 हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में की जाएगी। इन सीमाओं पर भारत पहले ही स्पाइक मिसाइलों की तैनाती कर चुका है। साथ ही भारत सीमा पर राफेल जेट विमानों पर हवा से हवा में मार करने वाली मिटिऑर मिसाइल की तैनाती को भी सरकार मंजूरी दे चुकी है।
मसूद का चौथा डर भारत सरकार द्वारा जारी किये गए जम्मू कश्मीर के नए नक़्शे से है। इस नक़्शे में भारत ने पाकिस्तान और चीन द्वारा कब्ज़ा किये गए क्षेत्रों को भी भारत की सीमा में शामिल किया गया है।
गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बयान दिया गया है उससे सुन कर तो ऐसा लगता है कि भारत कभी भी पाकिस्तान पर हमला करके गुलाम कश्मीर को भारत में शामिल कर सकता है।