इस साल जनवरी महीने के आखिर सरस्वती पूजा का त्यौहार मनाया जाएगा। यह त्यौहार भारत के साथ साथ दूसरे देशों में रहने वाले हिन्दू समुदाय के लोग भी मनाते हैं। ऐसे में यह त्यौहार पड़ोसी देश बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दू भी धूम धाम से मनाते हैं। पर इस बार बांग्लादेश में सरस्वती पूजा को लेकर विवाद शुरू हो गया है।
दरअसल बांग्लादेश में हाल ही में चुनावों की तारीख का ऐलान किया गया था और इसी तारीख पर सरस्वती पूजा भी पड़ रही है। ऐसे में बांग्लादेश के हिन्दू समुदाय के लोगों ने चुनाव की तारीख बदलने की अपील की थी। इस अपील पर बांग्लादेश की हाई कोर्ट ने सुनवाई की और चुनावों की तारीख बदलने की याचिका को खारिज कर दिया है। इसके बाद से ही इस मामले पर विवाद खड़ा हो गया है।
बता दें की इस मामले में याचिका को ख़ारिज करने वाले हाई कोर्ट के जजों की बेंच में जस्टिस जेबीएम हसन और जस्टिस एमडी खैरुल आलम शामिल रहे। इन दोनों ने मंगलवार को याचिका की सुनवाई करने के बाद इसे ख़ारिज करने का फैसला किया।
हाई कोर्ट द्वारा याचिका ख़ारिज करने के बाद याचिकाकर्ता गुस्से में आ गए और कुछ ही देर में शाहबाग इलाके में सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर जुट गए जिससे रास्ता पूरी तरह से जाम हो गया। इस मसले पर ढाका यूनिवर्सिटी के सैकड़ों छात्रों ने मंगलवार को सबसे व्यस्त चौराहे को करीब डेढ़ घंटे ब्लॉक रखा। छात्रों ने चुनाव आयोग को चुनाव की तारीख बदलने के लिए एक दिन का वक्त दिया है। बता दें की ढाका यूनिवर्सिटी में इस प्रदर्शन का नेतृत्व जगन्नाथ हाल स्टूडेंट यूनियन के उपाध्यक्ष उत्पल बिस्वास कर रहे हैं और उन्होंने पूरे मसले पर संवाददाताओं को बताया कि, "अगर चुनाव आयोग बुधवार दोपहर 12 बजे तक हमारी मांगें नहीं मानता है तो हम आयोग की घेराबंदी कर लेंगे।"
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के हिन्दू वकील व याचिकाकर्ता अशोक कुमार घोष ने मीडिया से बात की और कहा, 'हम व्यथित हैं और इस आदेश के खिलाफ अपील डिविजन में जाएंगे।'
गौरतलब है की चुनावों की तारीखों का ऐलान 22 दिसंबर को हुआ था। इस दिन बताया गया था की ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन (DSCC) और ढाका नॉर्थ सिटी कॉरपोरेशन (DNCC) के चुनाव 30 जनवरी को कराए जाएंगे। इस घोषणा के तुरंत बाद हिंदू समुदाय ने विरोध दर्ज करवाया क्योंकि 29-30 जनवरी को सरस्वती पूजा मनाया जाने वाला है।