जाने स्वतंत्रता सेनानी उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी की भुला दी गई कहानी, जिस पर आने वाली है फिल्म

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Punctured Satire
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जाने स्वतंत्रता सेनानी उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी की भुला दी गई कहानी, जिस पर आने वाली है फिल्म

हाल ही में एक पीरियड बायोपिक फिल्म का टीजर रिलीज हुआ है। यह टीजर है साउथ के सुपरस्टार चिरंजीवी की अपकमिंग फिल्म 'सई रा नरसिम्हा रेड्डी' (Sye Raa Narasimha Reddy) का। यह फिल्म स्वतंत्रता सेनानी नरसिम्हा रेड्डी की कहानी पर आधारित है। उन्होंने सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ा था, परन्तु उनका नाम कम ही लोगो को मालूम है। इस फिल्म में चिरंजीवी के साथ सुजगपति बाबू, नयनतारा, तमन्ना भाटिया, दीप, विजय सेतुपति और अनुष्का शेट्टी भी अहम रोल में दिखाई देंगे। इतना ही नहीं सुपरस्टार बिग बी भी इसमें गेस्ट रोल में नजर आएंगे यह फिल्म 2 अक्टूबर 2019 को रिलीज होने वाली है।

चलिए आपको  ज्ञात कराते हैं कि आखिर यह स्वंत्रता सेनानी है कौन? उय्यालवाड़ा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश, में एक सैन्य परिवार में नरसिम्हा रेड्डी का जन्म हुआ था। वह मिलिटरी में गवर्नर थे। उनकी हाथों में अनंतपुर, कदपा, बेल्लारी और कुरनूल जैसे 66 गांवों की कमान रहती थी साथ ही वह 2000 की संख्या की एक सेना को नियंत्रित भी किया करते थे।

जब रायलसीमा के क्षेत्र पर ब्रिटिशों ने अधिकार किया था तब अंग्रेजों के साथ नरसिम्हा रेड्डी ने इस क्षेत्र की आय को साझा करने से मना कर दिया था। नरसिम्हा रेड्डी युद्ध में गोरिल्ला रणनीति का उपयोग किया करते थे। वह एक सशस्त्र विद्रोह के पक्ष में थे। कोइलकुंटला में उन्होंने 10 जून 1846 को खजाने पर हमला किया। इसके बाद कंबम की तरफ प्रस्थान किया। फिर उन्होंने वन रेंजर रूद्राराम को मार दिया और विद्रोह शुरू किया।

वाटसन और कैप्टन नॉट को नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने का आदेश दिया गया। लेकिन वह उन्हें पकड़ नहीं पाए। फिर नरसिम्हा रेड्डी की सूचना देने वाले को ब्रिटिश सरकार ने ₹5000 और उसके सिर के लिए ₹10000 देने की घोषणा की, यह उन दिनों में बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी।  

उन्होंने 23 जुलाई 1846 को अपनी सेना सहित गिद्दलूर में ब्रिटिश सेना पर आक्रमण किया। इस युद्ध में ब्रिटिश सेना को हार का सामना करना पड़ा। ब्रिटिश सेना को उन्होने धूल चटा दी। उन्हे पकड़ने के लिए फिर कदपा में ब्रिटिश सेना ने उनके परिवार को बंदी बना लिया। नरसिम्हा रेड्डी अपने परिवार को छुड़ाने के लिए नल्लामला वन चले गए। जैसे ही अंग्रेजों को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी गतिविधियों को और तेज कर दिया।

इसके बाद नरसिम्हा रेड्डी कोइलकुंतला क्षेत्र में आ गए और गांव रामबाधुनीपल्ले के समीप ही जगन्नाथ कोंडा में अवसर की प्रतीक्षा करने लगे। उनके कोइलकुंतला के ठिकाने की जानकारी ब्रिटिश अधिकारियों को मिल गयी तो उन्होंने रातों-रात उस क्षेत्र को घेर लिया। उन्हें 6 अक्टूबर 1846 को आधी रात के समय बंदी बना लिया।

उनके पकड़े जाने के बाद कोइलकुंतला में उन्हें बहुत पीटा गया। उन्हें मोटी-मोटी जंजीरो में बाँधकर कोइलकुंतला की सड़कों ले जाया गया ताकि कोई अन्य व्यक्ति ब्रिटिश सेना के खिलाफ विद्रोह न कर सके। यह विद्रोह करने लिए नरसिम्हा रेड्डी के साथ 901 लोगों पर आरोप लगाया गया जिसमे से 412 लोगों को बाद में बरी कर दिया गया। नरसिम्हा रेड्डी पर हत्या और राजद्रोह करने का आरोप लगा कर उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। 22 फरवरी 1847 को उन्हें सार्वजनिक रूप से जुर्रेती बैंक, कोइलकुंटला, जिला कुरनूल में सुबह 7 बजे फांसी दी गई। करीब दो हजार लोग उनकी फांसी को देखने के लिए आये थे। आज भी गिद्दलुर, उय्यलावडा, रूपनगुड़ी, वेल्ड्रथी जैसी जगहों पर उनके द्वारा बनाए गए किले है।

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