17 दिसंबर के दिन पड़ोसी देश पाकिस्तान से एक बड़ी खबर आई जिसमे बताया गया कि देशद्रोह के एक पुराने मामले में पाकिस्तानी आर्मी के पूर्व प्रमुख और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुना दी गई है। यह सजा उन्हें पाकिस्तान पर आपातकाल लगा कर खुद देश के राष्ट्रपति बनने और देश पर आपातकाल लगाने के आरोप में दी गई है। बहरहाल अब इस मामले में कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। दरअसल अदालत का पूरा फैसला मीडिया में आया है जिसमे परवेज़ मुशर्रफ़ के शव को तीन दिन तक राजधानी इस्लामाबाद के चौक पर लटकाए रखने की बात कही गई है।
मीडिया संस्थान इंडियन एक्सप्रेस में अदालत के फ़ैसले का हवाला देते हुए बताया गया है "अगर मुशर्रफ़ की मौत फांसी की सज़ा से पहले हो जाती है तो उनके शव को इस्लामाबाद के डी-चौक पर तीन दिनों के लिए लटकाया जाएगा।" अपने निर्णय में कोर्ट ने कहा कि ''हमने अभियुक्त को हर एक अपराध का दोषी पाया है। इसलिए उन्हें फांसी पर अंतिम सांस तक लटाकाया जाए। हम क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों को यह निर्देश देते हैं कि वह दोषी व्यक्ति को क़ानून की तरफ से तय सज़ा देने का काम पूरा करे और अगर वह इससे पहले मृत पाए जाते हैं तो उनके शव को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के डी-चौक पर लाया जाए और वहां तीन दिन के लिए लटकाया जाए।''
बता दें की पाकिस्तान के विशेष अदालत की जिस बेंच ने ओस मामले पर अपना फैसला सुनाया है उसे लीड कर रहे थे पेशावर हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस वक़ार अहमद सेठ और इनके अलावा इस बेंच में सिंध हाईकोर्ट के जस्टिस नज़र अकबर के साथ लाहौर हाईकोर्ट के जस्टिस शाहिद करीम भी शामिल थे।
गौरतलब है की पाकिस्तान में मौत की सजा पाने वाले परवेज मुशर्रफ दूसरे राष्ट्रपति हैं। इस्लामाबाद की विशेष अदालत ने परवेज मुशर्रफ को यह सजा निर्धारित की है। बता दें की मुशर्रफ द्वारा पाकिस्तान में आपातकाल लगाया था। इसके बाद नवाज शरीफ की सरकार ने साल 2013 में मुशर्रफ के खिलाफ केस दर्ज किया था। फिलहाल 76 साल के हो चुके परवेज मुशर्रफ उपचार के लिए दुबई में रह रहे हैं और पिछले कई सालों से वे सुरक्षा और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पाकिस्तान वापिस नहीं लौटे हैं।