देहरादून में तनाव: भगवा ध्वज को देख मुसलमानों ने किया हिंदुओं पर धारदार हथियार से वार

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Nikhil Talwaniya
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देहरादून में तनाव: भगवा ध्वज को देख मुसलमानों ने किया हिंदुओं पर धारदार हथियार से वार

दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित दुर्गा मंदिर में मुस्लिम संप्रदाय द्वारा की गई तोड़ फोड़ के विरोध में देहरादून में हिन्दू संगठनों व आम लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। हिन्दू संगठनों ने इस विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण तरीके किया गया था। परन्तु मुस्लिम समाज के लोगों ने इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हिन्दू संगठनों के लोगों पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया था। जिसमे कई लोग घायल हो गए है।

देहरादून स्थित इनामुल्ला बिल्डिंग के पास मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग हिन्दू संगठनों द्वारा आयोजित की गई रैली से भड़क कर इन लोगों पर हमला कर दिया और उनकी पिटाई कर दी है। मुस्लिम युवकों द्वारा इस घटना को अंजाम देने के बाद जब इसकी जानकारी हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं को पता चली तो वे इस बिल्डिंग की तरफ आगे जाने लगे तो पुलिस ने उन्हें बल पूर्वक रोक दिया है। इससे पूरे क्षेत्र में तनाव की स्थिति बन गई है।

ग़ौरतलब है कि रैली करते समय मुस्लिम युवकों ने कई आपत्तिजनक नारे लगाए थे। जिसके विरोध में हिन्दू संगठनों ने आपत्ति जताई थी। मुस्लिम युवकों द्वारा लगाए गए आपत्तिजनक नारे का विरोध करने पर मुस्लिम युवकों ने हिन्दू संगठनों के लोगों के साथ मारपीट की थी।

क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने पुलिस पर भी आरोप लगाया कि "पुलिस ने पीड़ित पक्ष अर्थात हिंदुओं पर ही कार्यवाही की है।” इस पूरी घटना के बारे में सामाजिक कार्यकर्ता रोहित मौर्य ने जानकारी दी है कि:-

“5 जुलाई को जिस प्रकार से हिन्दू संगठनों द्वारा एक प्रतिकार रैली का आयोजन किया गया और भारी संख्या में लोग परेड ग्राउंड में इकट्ठे होने जा रहे थे, तब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भारी संख्या में धारदार हथियारों एवं लाठी-डंडों से लोगों पर हमला कर दिया और क्षेत्र की आबो-हवा को बिगाड़ने का प्रयास किया। जिस तरह से दिल्ली में दुर्गा मंदिर तोड़ा गया और उत्तराखंड में मुस्लिमों द्वारा एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई, उसके विरोध में हमने रैली निकाली थी।”

“यहाँ पर डर का माहौल उत्पन्न हो गया है। एक मौलवी काजी रईस ने यह बयान दिया है कि अगर यहाँ मुसलमानों को फ्री कर दें तो वो पूरे देश में कत्लेआम मचा सकते हैं, हम उसी का विरोध कर रहे थे। भगवा रंग को देख कर हमारे कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला किया गया। इसमें पुलिस का भी दोष है, उनकी गलती सबसे बड़ी है। अनुमति होने के बावजूद हमें रोका गया। पुलिस ने ही झड़प कराई, इसमें उनका ही सारा रोल है। इनामुल्ला बिल्डिंग के पास छोटे-छोटे बच्चों तक पर भी हमला किया गया, वो भी सिर्फ़ इसीलिए क्योंकि उनके हाथों में भगवा झंडा था।”

“एक सोची-समझी साज़िश होने के बावजूद पुलिस ने उन्हें रोकने की बजाय हमें रोकने में ताक़त लगा दी। क्या पुलिस इस देश को एक मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहती है? वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पेचकश, आरी और चाकू जैसे हथियारों से हमला किया गया। बच्चों तक को नहीं बख़्शा गया। यह मुस्लिम बहुत क्षेत्र है और यहाँ ऐसी घटनाएँ होती रही हैं। पहाड़ी लोग सीधे-सादे होते हैं और देवभूमि में लैंड-जिहाद चलाया जा रहा है। क़ानूनी अनुमति न होने के बावजूद ये ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहे हैं।”

“एक कहावत है- जब सैंया भए कोतवाल, तब डर काहे का। यहाँ हिन्दू डरे हुए हैं और सरकारें कुछ नहीं कर रही हैं। पुलिस ने कमज़ोर व पीड़ित हिंदुओं को जेल में डालने की कोशिश की है और मुस्लिमों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पुलिस ने इस मामले में भी कोई गिरफ़्तारी नहीं की है। वे मुस्लिमों के सामने झुक गए हैं। तभी तो भड़काऊ बयान देने के बावजूद मौलवी को जेल नहीं भेजा गया। पुलिस उल्टा हमें ही डरा रही है।”

“पुलिस ने हमें डीएम के पास जाकर ज्ञापन देने की अनुमति भी दे दी थी लेकिन फिर पुलिस ने हमें रोकने की भी कोशिश की, वो भी बैरिकेडिंग लगा कर। यानी हमें रैली करने की अनुमति भी दी गई और उल्टा मुक़दमे भी हम पर ही दर्ज किए गए। सिटी एसपी ने सैकड़ों लोगों के बीच हमें अनुमति देने की बात कही थी लेकिन फिर भी हमें रोकने का प्रयास किया गया। फिर भी किसी तरह हम जिलाधिकारी को ज्ञापन देने में कामयाब रहे।”

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