13 सितंबर से श्राद्ध का आरंभ हो चुका हैं। लोग पितृपक्ष में अपने पितरों को याद करते हैं और उनके लिए दान धर्म करते हैं। इस साल पितृपक्ष 13 सितंबर से 28 सितंबर तक रहेगा। हिंदू धर्म में श्राद्ध के दौरान दान करने का भी बड़ा महत्व रहता है। पितृपक्ष के दौरान दान करना और गीता का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है। साथ ही इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। आपको बताते है पितृपक्ष में क्या क्या महादान किये जा सकते हैं।
भूमि का दान: यह दान भूमि या फिर सिर्फ मिट्टी का दान करने से पूरा हो जाता है। इस दान को करने से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
गौदान: व्यक्ति इस दान को प्रत्यक्ष रूप से कर सकता है या फिर संकल्प से भी यह दान पूर्ण हो जाता है। इस दान को करने से व्यक्ति को मुक्ति प्राप्त होती है।
स्वर्ण दान: स्वर्ण दान करने से व्यक्ति कर्ज और रोगों से मुक्त हो जाता है। स्वर्ण के अभाव में सिर्फ दक्षिणा भी दी जा सकती है।
तिल दान: काले तिलों का दान देने से व्यक्ति को ग्रह और नक्षत्रों की बाधा से मुक्ति मिल जाती है।
वस्त्र दान: वस्त्र और उपवस्त्र दोनों ही अलग अलग दान किये जाते हैं लेकिन वस्त्र नए होने चाहिए।
नमक दान: कभी भी नमक का दान किए बिना दान संपूर्ण नहीं होता है। नमक का दान करने से प्रेत और आत्माओं की बाधा से मुक्ति मिल जाती है।
रजत दान: चांदी का दान करने से परिवार और वंश मजबूत होता है। चांदी के अभाव में सफेद धातु की कोई वस्तु दान में दी जा सकती है।
गुड़ दान: गुड़ का दान करने से पितरों को संतुष्टि प्राप्त हो जाती है।
धान्य दान: धान्य दान में अलग अलग या कोई एक धान्य दान किया जाता है। इस दान से वंश वृद्धि होती है।
घृत दान: गाय का घी पात्र समेत दान करना चाहिए ऐसा करने से पारिवारिक जीवन बेहतर हो जाता है।