हर पांच साल में दक्षिणी नेपाल के पास स्थित एक गाँव में गढ़ीमाई नामक एक मंदिर में एक मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में हर बार हजारों जानवरों की बलि दी जाती है। दो दिन के इस आयोजन के बाद गढ़ीमाई मंदिर दुनिया सबसे बड़ा बूचड़खाना बन गया है।
ग़ौरतलब है कि काठमांडू से 100 किमी दूर बैरियापुर में गढ़ीमाई का मंदिर स्थित है। इस मंदिर की मान्यता है कि शक्ति की देवी गढ़ीमाई के सम्मान में हर पांच वर्ष में पशुओं का सामूहिक वध किया जाता है। इस वर्ष यह मेला मंगलवार और बुधवार को आयोजित किया गया है।
इस मेले में होने वाली पशु हत्या के विरोध में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने गढ़ीमाई मंदिर मेले में पशुओं की बलि को रोकने के निर्देश दिए थे। आदेश के बाद इस महोत्सव की मुख्य समिति ने भी इसका पालन किया था। परन्तु यह मेला भारत और नेपाल की सीमा के बीच होता है इसलिए भारत से भी लाखों संख्या में लोग पशु लेकर उनकी बलि देने पहुंचते है।
मेले में होने वाली इस बलियों के खिलाफ पशु अधिकार कार्यकर्ता भी लोगों को जागरूक करते है परन्तु लोगों की आस्था के आगे इन सब को अनदेखी कर दी जाती है। पूरी दुनिया का यह एक मात्र ऐसा उत्सव है जहाँ इतनी बड़ी संख्या में पशुओं की बलि दी जाती है।