विश्व भर में भारत का सनातन धर्म और इसकी परम्पराओं ने अपनी एक अलग पहचान बनायी है। कई ऐसे देश हैं, वर्षों से जहाँ के लोग भारत आते हैं और यहाँ की धार्मिक परम्पराओं पर रिसर्च भी करते हैं। आपको बता दें कि दूसरे देशों के भी लोग प्रत्येक साल गया में आयोजित पितृपक्ष मेले में आकर पितृ मुक्ति के लिए पिंडदान करते हैं।
इस साल भी गुरुवार (26 सितंबर) को गया के देवघाट पर रूस से आई 6 महिलाओं ने पिंडदान किया। रूस से आई इन महिलाओं ने बताया कि गया उनके लिए बहुत ख़ास स्थान रखता है। उन्होंने कहा कि कर्मकांड की महत्ता के कारण इस स्थान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
Bihar: Foreign women performed ‘Tarpan’ (a ritual to offer water & prayers to their ancestors’ soul) during 'Pitru Paksha' in Gaya yesterday. pic.twitter.com/iUMPHHgCQy
— ANI (@ANI) September 27, 2019
अपने पूर्वजों के मोक्ष हेतु रूसी महिलाओं ने सभी अनुष्ठान किए और सनातन धर्म के अनुसार फल्गु नदी में ‘पिंड दान’ भी किया। इस अनुष्ठान प्रक्रिया में पुजारी लोकनाथ गौड़ ने इन महिला तीर्थयात्रियों की सहायता की। उन्होंने कहा, “पिंड दान के लिए आने वाली महिलाएँ रूस के विभिन्न क्षेत्रों में रहती हैं। ये महिलाएँ ऐलेना कशिटसाइना, यूलिया वेर्मिन्को, एरेस्को मैगिटा, औक्सना कलीमेंको, इलोनोरा खातीबोबा और इरीना खुचमिस्तोबा हैं।”
गौड़ ने बताया कि इन महिलाओं का मानना है कि अनुष्ठान करने से उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी। दान की सभी रस्में रूसी महिलाओं ने भारतीय वेशभूषा में पूर्ण की।
ऐलेना कशिटसाइना ने कहा, “भारत धर्म और आध्यात्मिकता का देश है। मुझे गया में आंतरिक शांति की अनुभूति होती है। मैं यहाँ अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए आई हूँ।”
ख़बर के मुताबिक, पिछले साल, स्पेन, रूस, चीन, जर्मनी, कजाकिस्तान के 27 विदेशी पर्यटकों ने अपने पूर्वजों के उद्धार हेतु ‘पिंड दान’ किया था।