राजस्थान में अभी कांग्रेस की सरकार है लेकिन वहां पर मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी भी खींचातान चल रही है। इस पर अशोक गहलोत और सचित पायलेट के बीच चल रहा मतभेद अब खुलकर सामने आ रहा है। दोनों एक दूसरे से जीत का श्रेय छीनने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले ही सचिन पायलट को मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री पद का सपना न देखने की सलाह दे डाली थी। अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि उन्हें पता होता है कब कितना और कैसे बोलना है।
खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने के सीक्रेट अजेंडे के कारण परेशान हो चुके हैं। वे बजट के बाद इस मामले को निपटाना चाहते हैं। उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इशारों-इशारों में बता दिया है कि राजस्थान में सिर्फ उनकी चलेगी। वे यहाँ दो नेताओं की स्थिति बर्दाश्त नहीं करेंगे। सचिन पायलट भी पिछले 5 साल से राजस्थान में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में उनका कद भी अशोक गहलोत के बराबर होने की बात की जा रही है।
सचिन पायलट ने 5 साल तक मेहनत की लेकिन जब इसका फल मिलने का वक्त आया तो कोई और ही मजा लूट रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद सचिन को राहुल गाँधी से उम्मीद थी कि वे उन्हें बड़ा मौका देंगे, लेकिन अभी सभी ने चुप्पी साधी हुई है। जब गहलोत पत्रकारों से बात कर रहे थे तो उन्होंने बिना कोई सवाल पूछे ही कह दिया कि राजस्थान में सरकार कार्यकर्ताओं और राहुल गांधी की मेहनत से बनी है। जाहिर है वे अपने इस बयान से सचिन से जीत का श्रेय छीनना चाहते थे।
सचिन पायलट ने भी पत्रकारों के सामने स्पष्ट कर दिया कि उनके और अशोक गहलोत के बीच टकराव अब ऐसे जगह पहुँच गया है जहाँ कांग्रेस नेतृत्व को जल्द की कोई फैसला करना होगा वरना प्रदेश में सरकार चलाना और कठिन हो जाएगा।