नागरिकता संशोधन बिल के संसद से पास होने और फिर इसके कानून बन जाने के बाद पिछले कुछ दिनों से देश के कुछ हिस्सों में इसका विरोध हो रहा है। इस कानून से भारत के नागरिकों की नागरिकता में कोई बदलाव नहीं आने वाला है पर इसके बाद भी इसका विरोध यह कह कर किया जा रहा है की यह बिल मुसलमानों के खिलाफ है। इस विरोध को पिछले दिन हवा दी दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने और इन छात्रों ने विरोध करते हुए चार बसों में आग लगा दी साथ ही साथ कई दूसरी गाड़ियों में भी तोड़-फोड़ की। इसके बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई और छात्रों पर बल प्रयोग किया। अब पुलिस द्वारा छात्रों पर किये गए इसी बल प्रयोग के खिलाफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गई हैं।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंसक विरोध करने वाले छात्रों के पक्ष में प्रियंका गांधी के साथ-साथ कांग्रेस के कई नेता भी धरने पर बैठे हुए हैं। इंडिया गेट के पास धरने पर बैठने से पहले प्रियंका ने जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई घटना पर कहा कि "सरकार ने संविधान और छात्रों पर हमला किया है, उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के बाद छात्रों पर हमला किया है। हम संविधान के लिए लड़ेंगे, हम इस सरकार के खिलाफ लड़ेंगे।"

बता दें की केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए रविवार को प्रियंका वाड्रा ने ट्वीट के माध्यम से कहा था कि "इस सरकार को जनता की आवाज से डर है, इसलिए वे छात्रों पर पत्रकारों को दबा कर अपनी मौजूदगी दर्ज कर रही है। पीएम को युवाओं की आवाज सुननी होगी। देश की यूनिवर्सिटीज में घुस कर उसके अंदर छात्रों को पीटा जा रहा है। ऐसे समय में जब सरकार को जनता की आवाज सुननी चाहिए, उस वक्त बीजेपी सरकार नॉर्थ ईस्ट, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में छात्रों और पत्रकारों पर जुल्म ढा रही है। यह सरकार डरपोक है।”

वैसे यह साफ़ है कि छात्रों का विरोध एक झूठ पर आधारित है क्योंकि नागरिकता संशोधन बिल से देश के किसी भी नागरिक वो चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम उसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला इसके बाद भी अगर छात्र इस झूठे प्रदर्शन में सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुंचा रहे हैं तो इनके खिलाफ पुलिस का एक्शन होना ही चाहिए। अगर प्रियंका यहाँ हुड़दंगी छात्रों का समर्थन कर रही हैं तो वे वैसी ही भूल कर रही हैं जैसी कभी राहुल गांधी ने देश विरोधी नारे लगाने वाले JNU के छात्रों के समर्थन में जाकर की थी।