18 अक्तूबर को लखनऊ में कमलेश तिवारी ने एक बड़ा सम्मेलन करने की तैयारी की थी। जिसका खूब प्रचार किया गया था। इसका निमंत्रण भी दूर-दराज के लोगों को दे दिया गया था। जब इस आयोजन का हत्यारों को पता चला तो इस सम्मेलन में सबके समक्ष ही कमलेश तिवारी की हत्या करने पर सहमति हुई थी। जिसके तहत ही दोनों हत्यारे 16 को सूरत से चलकर 17 अक्तूबर की रात लखनऊ पहुंचे।
हत्यारे ने रात 11 बजे ‘चेक इन’ किया। अशफाक और मोइनुद्दीन खाना खाने के बाद रात में कुछ देर बाहर घूमने के लिए निकले। इन्हें इस दौरान ही पता चला कि कमलेश का 18 अक्तूबर को होने वाला सम्मेलन टल चुका है। यह सम्मेलन अब 20 अक्तूबर को होगा। इन्होंने इस पर सूरत और नागपुर में फिर अपने मददगारों से बात की जहाँ इन्हें कहा गया कि जब लखनऊ पहुंच गए है तो काम पूरा करके ही लौटना।
अफसर भी इस बात को मान रहे है कि यदि दो दिन कमलेश का आयोजन न टलता और हत्यारे सम्मेलन के मध्य कमलेश पर हमला करते तो उस समय कई लोगों की जान जा सकती थी। अंदेशा जताया जा रहा है कि सम्मेलन के दौरान हत्या करने के बाद ये लोग फायरिंग करते हुए गलियों द्वारा भाग निकलते। एटीएस के एक अधिकारी ने कहा कि रिमांड पर साजिशकर्ताओं से अभी कुछ ऐसा ही मालूम हुआ है।
कमलेश तिवारी के परिवार की सहायता के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तात्कालिक रूप से उनकी पत्नी को 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त परिवार को सीतापुर की महमूदाबाद तहसील में एक आवास की सुविधा देने का भी निर्देश दिया है।