दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फाँसी दिए जाने पर रोक लगा दी है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अभी आरोपियों के पास कुछ क़ानूनी दाव बचे हुए हैं। दरअसल चार आरोपियों में से एक मुकेश की दया याचिका पर फैसला न होने के चलते अदालत ने तारीख को टालने का आदेश दिया है। सालों से अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ रहे निर्भया के परिजनों ने इस फैसले के बाद अपनी चुप्पी तोड़ दी है। उन्होंने आरोपियों को फाँसी दिए जाने में देरी के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को दोषी बताया है।
निर्भया के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “दिल्ली सरकार तब तक सोई रही, जब तक हम लोग नहीं आगे बढ़े। आखिर दिल्ली सरकार ने जेल अथॉरिटी से पहले क्यों नहीं कहा था कि आप फाँसी के लिए नोटिस जारी करो। तब तक उन्होंने जेल प्रशासन से कुछ नहीं कहा। यदि इलेक्शन से पहले कोई फैसला नहीं आता है तो इसके जिम्मेदार अरविंद केजरीवाल होंगे। अरविंद केजरीवाल ने सत्ता में आने के लिए उनका इस्तेमाल किया।”
निर्भया के पिता जहाँ दिल्ली के सीएम से नाराज़ नजर आये वहीं निर्भया कि मां आशा देवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि 'सरकार चुप है, कोर्ट चुप है, कानून में कमियां हैं। जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2017 में आ गया, तब मैं दिल्ली सरकार के पास गई, केंद्र के पास गई। आखिर दोषियों को इतना अधिकार क्यों? यही नहीं परोक्ष तौर पर उन्होंने दिल्ली सरकार पर वार करते हुए कहा कि 2012 में जब घटना हुई तो इन्हीं लोगों ने तिरंगे लेकर और काली पट्टी बांध कर खूब नारे लगाए। लेकिन आज यही लोग बच्ची की मौत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मैं यह कहना चाहूँगी कि ये लोग अपने फायदे के लिए उनकी फाँसी को रोके हैं। मैं प्रधानमंत्री जी से यही कहना चाहती हूं कि आपने जिस तरह से तमाम कार्य किए हैं, उसी तरह बच्ची की मौत के साथ मजाक न होने दीजिए।”
वही आज निर्भया से आरोपियों में से एक मुकेश की दया याचिका को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को भेज दिया है। 16 दिसंबर, 2012 को हुई घटना के एक अन्य दोषी विनय शर्मा की माफी याचिका भी राष्ट्रपति के पास पहुंची थी, लेकिन उसने बाद में यह कहते हुए अर्जी वापस ले ली थी कि यह बिना उसकी मंजूरी के दायर की गई है। अब एक अन्य दोषी मुकेश की याचिका को मंत्रालय ने गुरुवार रात को राष्ट्रपति के पास भेजा है।