भारत के रक्षा मंत्रालय ने पिछले वर्ष से ही NASAMS 2 की खरीददारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 2 महीने के भीतर ही इस सौदे पर मुहर लगा दी जाएगी। भारत के द्वारा  NASAMS 2 सिस्टम को 6000 करोड़ रूपये में ख़रीदा गया है। NASAMS 2 एक मिसाइल सिस्टम है इसकी मदद से 25 किलो मीटर की ऊंचाई तथा 55 से 180 किलोमीटर की दुरी से आने वाले एयरक्राफ्ट को नाकाम किया जा सकता है। NASAMS 2  के भीतर अमेरिका में ही निर्मित सेंटिग रडार और जमीन से वार करने वाली मिसाइलें लगी हैं। उसमें स्टिंग मिसाइलों के साथ हवाई सुरक्षा देने वाले गन सिस्टम भी लगे हुए हैं। भारतीय शहरों को हवाई हमलों से सुरक्षित रखने के लिए अंतिम छतरी के रूप में NASAMS का इस्तेमाल किया जायेगा।

भारत ने रुस से पिछले वर्ष 5 अक्टूबर को S 400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम खरीदने का भी सौदा किया था। यह सिस्टम अगले साल तक भारत पहुँच सकता है। S 400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम की रेंज 5 से 400 किलोमीटर तक है। भारत ने इसकी पांच रेजिमेंट खरीदी हैं। भारत पाकिस्तान और चीन की सीमा पर अपने मिसाइल रक्षा तंत्र को मजबूत बनाना चाहता है।

भारत के स्वदेशी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम में AAD और PAD शामिल हैं। AAD की खासियत यह है कि वह वायुमंडल में प्रवेश के 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर बैलेस्टिक या क्रूज़ मिसाइल को नष्ट कर सकता है। इसके अलावा PAD वायुमंडल में प्रवेश करने वाली मिसाइल को 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर ही नष्ट करने की काबिलियत रखता है। यह किसी भी रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल को नष्ट कर सकता है। भारत की सुरक्षा के लिए इजराइल के सहयोग से विकसित बराक मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी आखरी सुरक्षा के रूप में काम करेगा।

भारत के दोनों पड़ौसी देशों चीन और पाकिस्तान ने अपनी मिसाइलों की मारक क्षमता में बढ़ौतरी की है। चीन के पास डोंगफेंग सीरीज की मिसाइल हैं जो 14000 किलोमीटर तक वार कर सकती हैं। जबकि पाकिस्तान ने चीन और उत्तर कोरिया के सहयोग से शाहीन, गौरी, गजनवी और बाबर जैसे क्रूज़ मिसाइल विकसित कर ली हैं। इस मिसाइल की रेंज 300 से 3000 किलोमीटर तक है।