इमरान खान ने रशिया टुडे को दिए इंटरव्यू के दौरान यह कबूल किया कि शीत युद्ध के समय पाकिस्तान ने ही अफग़ानिस्तान में सोवियत संघ से लड़ने के लिए जिहादियों को तैयार किया था और इसकी फंडिंग अमेरिका ने की थी। परन्तु एक दशक के पश्चात् अमेरिका ने इन्हीं जिहादियों को आतंकवादी घोषित कर दिया।
पीएम इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान ने 9/11 हमले के बाद जब तालिबान के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का साथ दिया तो उसे इसका बड़ा ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा, यदि हमने 9/11 के बाद आतंकवाद के विरुद्ध अमेरिकी युद्ध में भाग नहीं लिया होता तो हम आज दुनिया के सबसे खतरनाक देश नहीं बनते।
इमरान ने कहा, 80 के दशक में सोवियत ने जब अफग़ानिस्तान में हमला किया तो उसके विरुद्ध पाकिस्तान ने अफगान मुजाहिदीन को प्रशिक्षण दिया साथ ही इसकी फंडिंग अमेरिका की जांच एजेंसी सीआईए ने की थी। जब एक दशक बाद अमेरिकी अफग़ानिस्तान में आए, तब पाकिस्तान के इन्हीं समूहों को कहा गया कि अब अमेरिका वहां आ गया है जिससे अब ये जिहाद नहीं बल्कि आतंकवाद है। यह बहुत बड़ा विरोधाभास था।
इमरान ने कहा कि, उनके देश ने 70,000 लोगों की जानें गँवाई है साथ ही अर्थव्यवस्था को 100 अरब डॉलर का नुकसान भी हुआ। लेकिन अफग़ानिस्तान में सफल नहीं होने के कारण अमेरिकियों को नहीं बल्कि हमें जिम्मेदार ठहराया गया। मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान के साथ अन्याय है।
बता दें कि इसी सप्ताह पाकिस्तान की सहायता से आयोजित की गई अफगान तालिबान वार्ता को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रद्द कर दिया था। ट्रंप ने तालिबान के साथ शांति वार्ता रद्द करने का कारण काबुल में हुए तालिबानी हमले को बताया जिसमें एक अमेरिकी सैनिक सहित 12 लोग मारे गए।