पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दिन-ब-दिन नई-नई मुसीबतों से घिरते नज़र आ रहे हैं। ये पूरा महीना उनके लिए बुरा गुजर रहा है। कहीं उनके बयान का मज़ाक बनाया जा रहा है तो कहीं उनके बयान की कड़ी आलोचना हो रही है।

पीएम इमरान खान की सबसे ज़्यादा फ़ज़ीहत उनके उस बयान के कारण हो रही है जो उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति के सामने दिया था। ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात के दौरान इमरान खान ने द्वपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। इस मुलाक़ात में उन्होंने आतंकवाद पर भी बातचीत की। इमरान खान ने यह भी स्वीकार किया कि पूर्व में पाकिस्तानी ज़मीन का प्रयोग ईरान में आतंकी हमलों के लिए होता रहा है।

उनके इस बयान के बाद देश में उनकी काफी आलोचना हो रही है। नेशनल असेंबली में नेता उन्हें लगातार कोस रहे हैं। देश की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने पीएम के इस बयान को बहुत गैर-ज़िम्मेदाराना करार देते हुए कहा है कि देश के किसी भी पीएम ने आज तक ऐसा शर्मनाक बयान नही दिया है। उन्होंने कहा कि उनके इस बयान से देश का सिर शर्म से झुक गया है।

आतंकियों पर कबूलनामा इससे पहले जनरल परवेज मुशर्रफ भी कर चुके हैं। उन्होंने अपने इंटरव्यू में यहाँ तक बता दिया था कि उन्होंने कारगिल का युद्ध आतंकवादियों की मदद से करवाया था। उन्होंने स्वीकार किया था कि भारत में हमले कराने के लिए आतंक की मदद भी ली गई थी। इमरान खान से पहले नवाज शरीफ ने भी इस बात को अपनी स्वीकृति दी है।

इमरान खान को अपने एक अन्य बयान के कारण भी आलोचना झेलनी पर रही है जिसमें उन्होंने कह दिया था कि जापान और जर्मनी की सीमाएँ एक दूसरे से मिलती हैं। लोगों ने कहा कि इमरान खान को न तो इतिहास पता है और न भूगोल। इमरान खान की एक बार फिर से फ़ज़ीहत तब हुई जब उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो के लिए “साहिबा” शब्द का प्रयोग कर डाला। लोग इसे आपत्तिजनक बता रहें और इमरान खान की खूब आलोचना कर रहे हैं।

इमरान खान अपने विवादित बयानों के कारण खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। मीडिया में लगातार उनके बारे में ख़बरें छप रही हैं। वे नरेंद्र मोदी के बारे में दिए गए अपने बयान के कारण भी खूब चर्चा में रहे। उन्होंने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को हल करने में नरेंद्र मोदी एक सक्षम नेता हैं। उन्होंने कहा भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से शांतिपूर्ण वार्ता हो इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का जीतना ज़रूरी है।