पितृ पक्ष के दौरान रेलवे में बुक होती है मृत व्यक्तियों की सीटें, जानें इसके पीछे की वजह

Go to the profile of  Prabhat Sharma
Prabhat Sharma
1 min read
पितृ पक्ष के दौरान रेलवे में बुक होती है मृत व्यक्तियों की सीटें, जानें इसके पीछे की वजह

अभी श्राद्ध चल रहे है। इन दिनों में हिन्दू धर्म के लोग अपने अपने पितरों का पूजन अर्चन करते है, उनकी आत्मा को शांति मिले इसलिए उन्हें गया जी ले जाते है, दान पुण्य करते है। इन दिनों रेलवे भी पितरों के लिए अपनी रेल में मृत व्यक्तियों के नाम से सीट बुक करता है। मृतक के परिजन ट्रेन की रिज़र्व सीट पर अपने पितरों के रूप में नारियल और बांस से बने पितृदंड को सुलाकर लेके आते है।

गया जी में श्राद्ध पक्ष में चलने वाले 15 दिन के पितृपक्ष महासंगम मेले में पूरे देश से हिन्दू धर्म के लोग आते है। अपने पितरों को उद्धार और मोक्ष प्राप्त करवाने के लिए गया जी में पिंडदान करते है।

उड़ीसा से आये हुए लोग अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए अपने पूर्वजों का टिकट करवा कर गया जी आते है। इन लोगों की अपने पितरों के प्रति गहरी आस्था है। इसलिए वे अपने पितरों के प्रतीक पितृदंड को साथ में लेकर आये है। इस पितृदंड में अपने पूर्वजो से जुड़ी कुछ चीजे व शमशान की मिट्टी की गाठ बाँध कर उसे एक लकड़ी में बाँधकर लेकर आते है। इसे लाने से पहले वे 7 दिनों तक भगवत गीता के पाठ जा आयोजन भी करते है। यह लोग सबसे पहले अपने पितृदंड का रिजर्वेशन कराते हैं उसके बाद अपने बाकी के परिवार के सदस्यों का टिकट करवाते है।

उड़ीसा के वर मित्तल के पर‍िवार के अनुसार "हम लोग पितृ मोक्ष के लिए आए हैं। हम लोग 9 सितम्बर को उड़ीसा के कांटामांझी से निकले हैं और इलाहाबाद और बनारस पिंडदान कराते हुए गयाजी पहुंचे हैं। हमारी सात पीढ़ी के पूर्वज ट्रेन से और बस से पितृदंड लेकर गयाजी पहुंचे हैं। पितृदंड का रेलवे में अलग से रिजर्वेशन होता है। पितृदंड के रिजर्वेशन के सीट पर पितृदंड ही रहते हैं,  बाकी हम लोगों का अलग रिजर्वेशन होता है। जो यहां से पंडा जी कपड़ा देते हैं, उसी को बिछा कर पितृदंड को रखा जाता है और पूरे रास्ते में देखभाल कर के लाया जाता है। हम 10 लोग साथ में आए हैं। सभी लोगों ने 2 -2 घंटे की ड्यूटी बांध ली थी क‍ि पितृदंड को कोई तकलीफ़ नहीं हो। रात को पितृदंड को हम लोग अकेले में नहीं छोड़ते हैं।"

GO TOP