ईरान और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों देश अपने-अपने रुख पर कायम हैं और एक दूसरे को धमकी देकर मामले को और ज़्यादा संवेदनशील बना रहे हैं। अमेरिका का कहना है कि ईरान ने उसके सैन्य निगरानी ड्रोन को मार गिराया है।

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव का असर भारतीय जहाज़ों पर भी देखा जा रहा है। अब भारतीय नौसेना ने भी अपने जहाज़ों को सुरक्षित निकालने के लिए 'ऑपरेशन संकल्प' शुरू कर दिया है। इस क्षेत्र में भारतीय जहाज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके इसके लिए नौसेना के विमान क्षेत्र में हवाई निगरानी भी रखी जा रही है।

नौसेना से मिली जानकारी के अनुसार आईएनएस सुनयना तथा आईएनएस चेन्नई को फारस की खाड़ी तथा ओमान की खाड़ी में तैनात किया गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के द्वारा उसका ड्रोन गिराए जाने को ईरान की बड़ी गलती कहा है। उन्होंने कहा कि हमारा ड्रोन अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर था और हमारे पास इसके सबूत भी उपलब्ध हैं।

ईरान की इस कार्यवाही का जवाब देने के बारे में ट्रंप ने कहा, "आप को इसकी जानकारी होगी।" जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके सलाहकार उन्हें ईरान के साथ युद्ध में धकेल रहे हैं तो उन्होंने इसे नकारते हुए कहा, ‘‘नहीं, नहीं...ऐसा नहीं है। यह बिल्कुल उल्टा है।’’

दूसरी ओर ईरान का कहना है कि अमेरिका का जासूसी ड्रोन उसके क्षेत्र में घुस आया था। ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ ने एक ट्वीट करके कहा कि वे अमेरिका की इस आक्रामकता को संयुक्त राष्ट्र संघ में लेकर जाएंगे। उनके अनुसार अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र के बारे में झूठ बोल रहा है। इस बारे में जवाद ज़रीफ के कहा कि वे जंग नहीं चाहते हैं, लेकिन अपने आसमान, ज़मीन और जल क्षेत्र के बचाव के लिए पूरी कोशिश करेंगे। रिवोल्यूशनरी गार्ड ने बयान के अनुसार जब अमेरिका का ग्लोबल हॉक निगरानी ड्रोन होरमोजगन प्रांत के जल क्षेत्र के ऊपर था तब उसे एक मिसाइल के द्वारा निशाना बनाया गया था।

इससे पहले भी इस जल क्षेत्र में दो टैंकरों पर हमला हुआ था। उस समय भी अमेरिका ने ईरान को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया था। ईरान इन आरोपों से मुकर रहा है लेकिन अब इन दो घटनाओं के कारण उसके और अमेरिका के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है। 2015 का परमाणु करार हटाने के बाद से ईरान और अमेरिका के बीच कुछ भी ठीक नही चल रहा है। इस परमाणु करार को रद्द करने से भारत के हितों पर भी चोट लगी है।