तीन तलाक़ निरोधी बिल, धारा 370 का खात्मा और राम मंदिर बनाये जाने का रास्ता साफ़ हो जाने के बाद अब मोदी सरकार का अगला बड़ा कदम 'नागरिकता संशोधन बिल' है जिसपर सरकार आजकल खूब तबज्जो दे रही है। सबकुछ ठीक रहा तो संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में ही नागरिकता संशोधन बिल (CAB) को केंद्र सरकार पेश कर देगी। आज इस बिल को कैबिनेट से हरी झंडी मिल सकती है।
मोदी कैबिनेट से आज जैसे ही इस बिल को मंजूरी मिलेगी उसके बाद इसके संसद में पेश होने का रास्ता साफ़ हो जाएगा। असम में NRC लागू होने के बाद अब इस बिल का भी विपक्षी दलों की तरफ से बहुत ज्यादा विरोध हो रहा है। ज्यादातर विपक्षी दल इस बिल को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रही है।
आइये जानते हैं इस बिल में आखिर क्या क्या प्रावधान हैं?
बता दें की साल 1955 से लागू नागरिकता अधिनियम के प्रावधानों में बदलाव के लिए नागरिकता संशोधन बिल लाया जाएगा। इससे बिल के संसद से पास होने के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता आसान हो जाएगा परन्तु अगर ये नागरिक मुस्लिम होंगे तो उनके लिए नागरिकता हासिल करना मुश्किल ही रहेगा।
इस नागरिकता संसोधन बिल के पास होने के बाद सभी गैरमुस्लिम धर्म के लोगों अर्थात हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल देश में रहना जरूरी नहीं होगा जो पहले होता था। इस नए बिल के आने के बाद सिर्फ 6 साल की अवधि के बाद गैरमुस्लिओं को नागरिकता दी जा सकेगी।
क्यों हो रहा है बिल का विरोध?
बहरहाल अब इस बिल में मुस्लिमों के लिए कोई प्रावधान न होने से कई विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है की मोदी सरकार धर्म के आधार पर नागरिकता को बांट रही है और शरणार्थियों को धर्म के आधार पर बांट रही है। कांग्रेस नेताओं के अलावा ममता बनर्जी और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने इस बिल के विरोध में मोर्चा खोल रखा है।