सोमवार को लोकसभा में पास होने के बाद कल यानी बुधवार को राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment bill) आसानी से पास हो गया। लोकसभा की ही तरह राज्यसभा में भी इस बिल पर तीखी बहस हुई। कांग्रेस और टीएमसी जैसी पार्टियों ने जहाँ  इस बिल को गलत बताया वहीं भाजपा और उनके समर्थक दलों ने इस बिल की ख़ूबियाँ गिनाते हुए इसकी तारीफ की। इस बिल के पास होने के बाद अगर कोई सबसे ज्यादा खुश है तो वो हैं शरणार्थी शिविरों में रह रहे वैसे बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यक जिन पर उनके देश में तो ज़ुल्म हुए ही पर भारत में आने के बाद भी उनकी समस्याएं कम नहीं हुई थी।

राजस्थान में बसे बांग्लादेशी और पाकिस्तानी विस्थापितों को इस बिल के जरिए उम्मीद की किरण मिल गई है। ग़ौरतलब है की सिर्फ राजस्थान में ही 25 हजार से ज्यादा की संख्या में पाकिस्तानी हिंदू भारतीय नागरिकता पाने का इंतजार सालों से कर रहे हैं। इन लोगों में कई ऐसे परिवार भी हैं जिनमे माँ बाप को तो नागरिकता प्राप्त हो गई है पर उनके बच्चों को अभी नागरिकता से दूर रखा गया है। इस बिल के पास हो जाने के बाद ऐसे सभी लोगों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है।

राजस्थान की तरह ही देश के कई हिस्सों में पाकिस्तान और बांग्लादेश से आये हिन्दू शरणार्थी बुरे हालात में रहते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में भी ऐसे कई शरणार्थी सालों से रह रहे हैं। दिल्ली में स्थित मंजनू का टीला इलाका ऐसे शरणार्थियों से भरा है। यहाँ वर्तमान में लगभग 140 परिवार रहते हैं। इन सभी परिवारों ने कल नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर अपनी खुशी का इज़हार पटाखें जलाकर, सीटी और ताली बजाकर किया। यहाँ बच्चों ने अपनी खुशी तिरंगे के साथ पटाखे जलाकर प्रकट की। इसके साथ ही यहाँ 'भारत माता की जय' और 'जय हिंद' के नारे भी लगाए गए। यहाँ शिविर में रहने वाले बड़े बुजुर्गों ने एक दूसरे को बधाई दे कर और मिठाइयां बांट कर इस बिल का स्वागत किया। एक परिवार ने तो अपने घर में दो दिन पहले पैदा हुई बेटी का नाम ही नागरिकता रख दिया है।

हालांकि ऐसा भी नहीं है की नागरिकता बिल की वजह से हर कोई खुश है। देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। इस बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय में भ्रांतियां फैली हुई है। जबकि यह बिल पहले से भारत के नागरिकों पर कोई असर नहीं डालेगा फिर भी कई जगहों पर इस बिल का विरोध मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जा रहा है। उत्तर पूर्व राज्यों में भी इस बिल का कुछ जगहों पर विरोध देखने को मिल रहा है।